शहडोल : कुदरत के करिश्मे भी बड़े अजीब होते हैं, जिस बेटी को डाक्टरों द्वारा मृत घोषित किये जाने पर जिसका शव परिजनों ने गंगा में प्रवाहित कर दिया था, वह 6 साल बाद कथावाचक के रूप में मिली तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा|
दरअसल चौंका देने वाला यह मामला एमपी के शहडोल जिले के ब्योहारी इलाके के कुआं गाँव का है, गाँव के झुरू कचेर की बेटी स्वाति के पेट में दर्द हुआ और मुंह से झाग निकलने लगा, परिजनों ने उसका इलाज भी कराया लेकिन डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया तो परिजन उसके शव को गंगा में बहाने के लिए इलाहाबाद ले गए, करीब 36 घंटे बाद पत्थरों में बांधकर नदी में प्रवाहित कर दिया|
परिजनों ने बताया की नदी में शव को प्रवाहित करने के बाद हम लोग घर आ गये, इसी दौरान गंगा तट पर वृन्दावन के साधुओं की नजर बच्ची पर पड़ गई वे उसे नदी से निकालकर डाक्टर के पास ले गए और इलाज कराया, कुछ दिनों में लडकी ठीक हो गई, इसके बाद वह साधुओं के साथ ही रहने लगी, साधुओं ने उसका नाम किशोरी रख दिया और वह भागवत कथा वाचन करने लगी|
बेटी स्वाति को मृत मान चुके पिता झुरू को पता चला कि उमरिया जिले के मुडगुडी में स्वाति भागवत कथा करने आई है. वे उससे मिलने कथा स्थल पहुंचे तो वह अपने पिता को पहचान गई, रुंधे गले से पिता ने बेटी को गले से लगा लिया, यह दृश्य देखकर वहां बैठे लोगों की आँखों में आंसू आ गए, स्वाति के जिन्दा होने की खबर सुनकर रिश्तेदार दौड़ पड़े, बेटी के मिलने की ख़ुशी में परिजनों ने धार्मिक आयोजन करवाया|