महिलाओं को शनि के सामने नहीं आना चाहिए, अनिष्ट होता हैः शंकराचार्य
महिलाओं को शनि के सामने नहीं आना चाहिए, अनिष्ट होता हैः शंकराचार्य
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नई दिल्ली​ : महाराष्ट्र के प्रसिद्ध शनि शिंगणापुर मंदिर में शुक्रवार को महिलाओं ने 400 सालों से चली आ रही परंपरा को 4 माह के भीतर बदल दिया और शनि भगवान की पूजा का अधिकार आखिर कार उन्हें मिल ही गया। इस पर ज्योतिष और द्वारका पीठ के पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती ने इस फैसले का स्वागत तो किया, लेकिन आगे उन्होने कहा कि महिलाओं को शनि भगवान के सामने नहीं आना चाहिए। शनि की पूजा से अनिष्ट हो सकता है।

उनका मानना है कि महिलाओं के लिए शनि की पूजा वर्जित है। शंकराचार्य ने कहा कि शनि ईश्वर या देवता नहीं, वह सिर्फ ग्रह है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि महिलाएं हर क्षेत्र, हर दिशा में आगे बढ़ें, लेकिन धर्म के क्षेत्र में जो मर्यादाएं व परंपराएं उन पर लागू हैं, उसका पालन करें, क्योंकि इसी में उनका हित है। मंदिर में भगवान को छुने का हक केवल उस मंदिक के पुजारी को होता है, अन्य सभी को उनके दूर से दर्शन कर लाभ मिलता है।

महिलाओं को मिले इस अधिकार के बाद बाबा रामदेव का कहना है कि सृष्टि के निर्माता भगवान ने अपने भक्तों में कोई भेद नहीं किया, तो मंदिर में कैसा भेद। दक्षिण काली मंदिर पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी ने भी कहा कि किसी भी मंदिर में पूजा अर्चना के लिए स्त्री पुरुष भेद किया जाना अनुचित है।

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