बच्चा गोद लेने के लिए पत्नी की सहमति बेहद जरूरी - इलाहाबाद हाई कोर्ट
बच्चा गोद लेने के लिए पत्नी की सहमति बेहद जरूरी - इलाहाबाद हाई कोर्ट
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नई दिल्ली: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत के अनुसार, यदि कोई हिंदू पुरुष किसी बच्चे को गोद लेना चाहता है तो इसके लिए उसकी पत्नी की सहमति आवश्यक है। यही नहीं अगर वह अपनी पत्नी से अलग रह रहा और तलाक नहीं दिया है तब भी अलग रहने वाली पत्नी की स्वीकृति जरूरी है।

वहीं अगर व्यक्ति ऐसा नही करता है तो होने पर वैध दत्तक ग्रहक नहीं माना जाएगा। एक मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस जेजे मुनीर ने मऊ के भानु प्रताप सिंह की याचिका को ठुकरा दिया है। दरअसल वन विभाग में रहे याची के चाचा राजेंद्र सिंह की सेवाकाल में निधन हो गया था। तो याची ने यह कहते हुए अनुकंपा कोटे में नियुक्ति की मांग की थी कि उसके चाचा ने उसे दत्तकपुत्र ले रखा था। उनका अपनी पत्नी फूलमनी से संबंध-विच्छेद हो गया था, मगर दोनों का तलाक नहीं हुआ था। दोनों अलग रहते थे और उनके कोई औलाद नहीं थी, इसलिए चाचा ने उसे गोद ले लिया। 

इस केस में वन विभाग ने याची का प्रत्यावेदन खारिज कर दिया तो हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। अदालत का कहना है कि याची का दत्तक ग्रहण वैध तरीके से नहीं हुआ है, क्योंकि हिंदू दत्तक ग्रहण कानून के मुताबिक संतान को गोद लेने के लिए पत्नी की सहमति जरुरी है। अदालत ने कहा कि अगर पत्नी जीवित नहीं है या किसी सक्षम अदालत ने उसे मानसिक रूप से अस्वस्थ घोषित कर दिया है।, इसके अलावा उस स्थिति में पत्नी के जीवित रहते उसकी स्वीकृति के बगैर दत्तक ग्रहण वैध नहीं कहा जा सकता।

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