कर्नाटक में 'विकास कार्य' के लिए पैसा क्यों नहीं ? कांग्रेस विधायकों ने सीएम सिद्धारमैया को लिखा था पत्र, मचा सियासी बवाल
कर्नाटक में 'विकास कार्य' के लिए पैसा क्यों नहीं ? कांग्रेस विधायकों ने सीएम सिद्धारमैया को लिखा था पत्र, मचा सियासी बवाल
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बैंगलोर: कर्नाटक के वरिष्ठ कांग्रेस विधायक बीआर पाटिल ने रविवार (30 जुलाई) को स्वीकार किया कि उन्होंने हाल ही में कांग्रेस विधायक दल (CLP) की बैठक के दौरान "आत्मसम्मान" का हवाला देते हुए इस्तीफा देने की धमकी दी थी। हालाँकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने अपनी चिंताओं को उजागर करते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री को पत्र लिखने के लिए माफी नहीं मांगी। बता दें कि, गुरुवार शाम को हुई CLP की बैठक महत्वपूर्ण थी, क्योंकि यह उन खबरों के बीच हुई थी कि लगभग 30 विधायकों ने सिद्धारमैया और पार्टी नेतृत्व को पत्र लिखकर अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्यों के कार्यान्वयन न होने पर चिंता व्यक्त की है।

रिपोर्ट के अनुसार, बीआर पाटिल ने कहा कि कुछ मंत्रियों के व्यवहार और आचरण ने कुछ विधायकों को परेशान कर दिया है, साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि अगर इसे ठीक नहीं किया गया तो उनकी लड़ाई जारी रहेगी। कांग्रेस विधायक ने हालांकि कहा कि वह गुरुवार को हुई विधायक दल की बैठक में जो भी घटित हुआ उससे संतुष्ट हैं। उन्होंने कहा कि, "मैंने भी मीडिया और अखबारों की खबरें देखी हैं। मुझे नहीं पता कि किसने माफी मांगी है। मैंने माफी नहीं मांगी है, न ही मांगूंगा। क्या हमने माफी मांगने के लिए कोई अपराध किया है? या हमने कोई बड़ी गलती की है?" बीआर पाटिल ने एक सवाल के जवाब में यह बात कही, जिसमे पुछा गया था कि गृह मंत्री जी परमेश्वर समेत कुछ मंत्रियों ने कहा है कि मुख्यमंत्री को पत्र लिखने वालों ने CLP बैठक में माफी मांगी थी। 

पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि, ''हमारी पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र है, हमें विधायक दल की बैठक का अनुरोध करने का अधिकार है। तदनुसार, नेताओं ने (बैठक के लिए) बुलाया है। बैठक में खुली और विस्तृत चर्चा हुई और मैं'' मैं संतुष्ट हूं, लेकिन मैं माफी मांगने वाला कायर नहीं हूं। अगर मैंने कोई गलती की होती तो मैं माफी मांग लेता।" दरअसल, ऐसी ख़बरें आ रहीं हैं कि कई कांग्रेस विधायक नाराज हैं और उन्होंने शिकायत की है कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्य नहीं करा पाए हैं, और अनुरोध के अनुसार उन्हें (सरकारी कर्मचारियों के) तबादले नहीं दिए गए हैं। उन्होंने कुछ मंत्रियों को लेकर नाखुशी जताई है और आरोप लगाया है कि वे उन्हें सहयोग नहीं कर रहे हैं। 

पार्टी सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री को पत्र लिखने वाले विधायकों में से एक, पाटिल ने सीएलपी बैठक में विधायकों को विश्वास में नहीं लेने के लिए मंत्रियों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि जब सीएम सिद्धारमैया ने उन्हें लिखे पत्र की आवश्यकता पर सवाल उठाया तो बीआर पाटिल ने अपने अधिकारों का दावा किया। पाटिल ने आज संवाददाताओं से कहा कि वह कुछ विधायकों के साथ कुछ मुद्दों पर चर्चा करना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने विधायक दल की बैठक बुलाने का अनुरोध किया था। 

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने कहा था कि वह बैठक में इस्तीफा दे देंगे, उन्होंने कहा, 'मैंने एक जगह यह बात कही थी कि अगर मेरे आत्मसम्मान को ठेस पहुंचेगी, तो मैं अपना इस्तीफा फेंककर चला जाऊंगा।' हालांकि वह इस बारे में विस्तार से नहीं बताना चाहते कि वह कौन सा संदर्भ था, जिसमें उन्होंने ऐसा बयान दिया। उन्होंने कहा कि, "इस पर मीडिया में खुलकर चर्चा नहीं की जा सकती, हमने आंतरिक रूप से चर्चा की है।" पाटिल ने कहा कि, कुछ मंत्रियों के व्यवहार और आचरण ने कुछ विधायकों को परेशान कर दिया है, "मुझे नहीं पता कि मुख्यमंत्री ने उन्हें (मंत्रियों को) सलाह दी है या नहीं, अगर उनका व्यवहार सही नहीं है, तो इसके खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी।" 

यह स्पष्ट करते हुए कि मंत्रियों के व्यवहार के खिलाफ लड़ने के लिए ऐसी कोई टीम नहीं है, वरिष्ठ विधायक ने एक सवाल के जवाब में स्वीकार किया कि वह CLP बैठक से बाहर चले गए थे, और कुछ मंत्रियों ने उन्हें वापस आने के लिए मना लिया। लेकिन वह विस्तार में नहीं जाना चाहते थे। हालांकि उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने बाद में उनसे फोन पर बात की। बीआर पाटिल ने यह स्पष्ट करते हुए कि विधायकों का जो मुद्दा है वह सरकारी सेवकों के स्थानांतरण से संबंधित नहीं है, उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने सीएलपी बैठक में चुनावी गारंटी के कार्यान्वयन के कारण सरकारी खजाने पर बोझ के बारे में बताया है और कहा कि कमी होगी इस वर्ष की शुरुआत में विकासात्मक कार्यों के लिए धन की व्यवस्था की जाएगी, जिसे आने वाले दिनों में ठीक कर दिया जाएगा।

कर्नाटक में विकास कार्य के लिए पैसा क्यों नहीं:-

बता दें कि, बीते दिनों कर्नाटक में कांग्रेस के विधायकों ने डिप्टी सीएम शिवकुमार के सामने अपनी समस्याएं रखीं थी। इनमें एक मांग यह भी थी कि उनके (विधायकों के) कार्यक्षेत्र में विकास कार्यों के लिए फंड जारी किया जाए, साथ ही मंत्रियों से संपर्क नहीं हो पा रहा है, तो उनसे भी वार्ता करवाई जाए। विधायकों की इस समस्या पर डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा कि इस साल हमें अपनी 5 गारंटियों को पूरा करने के लिए 40 हजार करोड़ रुपये अलग निकालने हैं, ऐसे में इस साल किसी तक विकास नहीं पहुंचा सकते हैं। कृषि और अन्य क्षेत्र में भी बजट आवंटन करना कठिन हो रहा है, क्योंकि उम्मीदें काफी अधिक हैं। कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने आगे कहा कि गुरुवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक है, ऐसे में हमने सभी सांसदों से तब तक प्रतीक्षा करने के लिए कहा है, उसी बैठक में ही लोगों को समझाया जाएगा। शिवकुमार ने कहा कि सीएम सिद्धारमैया ने भी अपने मंत्रियों को इंतजार करने के लिए कहा है। ऐसे में तमाम कांग्रेस विधायकों ने सीएम सिद्धारमैया को पत्र लिखकर अपने क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए फंड देने का आग्रह किया था, हालाँकि, फ़िलहाल सरकार फ्री की गारंटियों को पूरा करने के लिए पैसों का इस्तेमाल कर रही है, जिससे विकास कार्यों को लंबित ही रहना पड़ेगा। हालाँकि, इसका अंदेशा कई लोगों ने चुनाव के समय ही जता दिया था, उन्होंने कहा था कि, कांग्रेस चुनाव जीतने के लिए लोगों को फ्री का लालच तो दे रही है, लेकिन इससे सरकारी ख़ज़ाने पर काफी बोझ बढ़ेगा और फिर अन्य कार्यों के लिए सरकार के पास पैसा नहीं बचेगा 

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