बंगाल दंगों की 'सच्चाई' क्यों छुपा रही ममता सरकार ? पूर्व चीफ जस्टिस को पीड़ितों से मिलने से रोका
बंगाल दंगों की 'सच्चाई' क्यों छुपा रही ममता सरकार ? पूर्व चीफ जस्टिस को पीड़ितों से मिलने से रोका
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कोलकाता: पश्चिम बंगाल के हावड़ा इलाके में पिछले सप्ताह रामनवमी के पर्व पर हुई सांप्रदायिक हिंसा को लेकर पटना हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस नरसिम्हा रेड्डी की अगुवाई में एक 6 सदस्यीय दल हिंसा प्रभावित हुगली जिले का दौरा करने पहुंचा था, मगर पुलिस ने उन्हें रोक दिया। नरसिम्हा रेड्डी ने मीडिया को बताया है कि हमें रोक दिया गया है और पुलिस कह रही है कि इलाके में CrPC की धारा 144 लागू की गई है, मगर यहां कुछ भी नहीं है। वे डरे हुए हैं क्योंकि उनका भंडाफोड़ हो जाएगा।

वहीं, बंगाल पुलिस के एक अधिकारी का कहना है कि पटना हाई कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस एल नरसिम्हा रेड्डी की अगुवाई में एक टीम को सेरामपुर और रिशरा के रास्ते में कोननगर के पास रोक दिया गया क्योंकि क्षेत्र में अभी भी निषेधाज्ञा लागू है। यह टीम रविवार (9 अप्रैल) को हावड़ा जिले के शिबपुर का दौरा करने वाली है और रामनवमी के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा को लेकर राज्य के गृह सचिव बीपी गोपालिका से भी मिलने की मांग कर रही है। फैक्ट फाइंडिंग टीम के सदस्य चारु वली खन्ना ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि, 'वे (पुलिस) मुझे रोक रहे हैं और दीवार की तरह खड़े हैं। सरकार क्या छुपा रही है? क्या राज्य सरकार कानून व्यवस्था को कायम रखने में सक्षम नहीं है? हम भीड़ लेकर नहीं जा रहे हैं। हम बस पीड़ितों से मिलना चाहते हैं।' 

बता दें कि, सीएम ममता बनर्जी ने हिंसा के बाद कहा था कि, मुस्लिम रमजान के महीने में कोई गलत काम कर ही नहीं सकते, शोभायात्रा वाले लोग ही अपना जुलुस लेकर मुस्लिम इलाके में घुसे और आपत्तिजनक नारे लगाए, जिससे हिंसा भड़क गई। ममता के इस बयान के बाद मीडिया में भी ऐसी ही खबरें चलीं।  हालाँकि, सोशल मीडिया पर शोभायात्रा पर पथराव करते लोगों के वीडियो देखने को मिले हैं। रामनवमी से पहले भी ममता बनर्जी ने एक बयान में चेतावनी देते हुए कहा था कि, 'शोभायात्रा के दौरान किसी मुस्लिम के घर हमला हुआ तो उसे छोड़ूंगी नहीं।' अब गौर करने वाली बात ये भी है कि, एक तरफ ममता बनर्जी कह रहीं हैं कि, जुलुस वाले मुस्लिम इलाके में क्यों घुसे, वहीं कोलकाता हाई कोर्ट का कहना है कि, बंगाल पुलिस द्वारा तय किए गए मार्ग से ही जुलुस निकाला गया। इस पर सवाल ये उठता है कि, यदि मुस्लिम इलाके में हिंसा की आशंका थी, तो पुलिस ने वहां से जुलुस निकालने की अनुमति क्यों दी ? और वो कौन से आपत्तिजनक नारे थे, जिन्हे पुलिस ने नहीं सुना, या फिर सुना भी, तो जुलुस वालों को वो नारे लगाने नहीं रोका ? और यदि नारे आपत्तिजनक थे भी, तो मुस्लिम समुदाय के लोग पुलिस में शिकायत कर सकते थे, शोभायात्रा पर पथराव क्यों किया ?

बता दें कि, ममता बनर्जी खुद भी कई बार जय श्री राम के नारों से चिढ़ती हुईं नज़र आई हैं। कई बार कार्यक्रमों में जय श्री राम का नारा लगने से ममता मंच छोड़ चुकी हैं। ऐसे में माना जा सकता है कि, ममता बनर्जी को इस नारे से आपत्ति है और हो सकता है कि, रामनवमी के जुलुस में जब यह नारा लगा हो, तो ममता समर्थक भड़क गए हों और हमला कर दिया हो। हालाँकि, सच्चाई क्या है, इसका पता लगाने पटना हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस के नेतृत्व में एक टीम बंगाल पहुंची है, लेकिन उन्हें दंगा प्रभावित इलाके में जाने ही नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में ये सवाल उठ रहा है कि, क्या ममता सरकार दंगों की सच्चाई छुपाने का प्रयास कर रही है ?     

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