भारत के खिलाफ पाकिस्तानी प्रोपेगेंडा को क्यों मदद करते हैं मोहम्मद ज़ुबैर ?
भारत के खिलाफ पाकिस्तानी प्रोपेगेंडा को क्यों मदद करते हैं मोहम्मद ज़ुबैर ?
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नई दिल्ली: भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने हाल ही में टीम इंडिया के तेज गेंदबाज़ अर्शदीप सिंह को खालिस्तानी कहने वालों का प्रचार करने वाले विवादित वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ शिकायत दी थी। इसका विरोध करते हुए जुबैर ने बुधवार (7 सितंबर, 2022) को अपने ट्विटर अकॉउंट से एक लंबा चौड़ा सफाई भरा पोस्ट डाला। मगर, ट्विटर यूजर ‘द हॉक आई’ ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया।

दरअसल, जुबैर ने दावा किया कि उनके खिलाफ ‘नफरत फैलाने’ के लिए FIR दर्ज की गई थी। जुबैर ने सिरसा के आरोपों का जवाब देने का प्रयास करते हुए कहा कि अर्शदीप से कैच छूटने के एक घंटे बाद उन्होंने ट्वीट किया था। उन्होंने ट्विटर हैंडल @MrSinha_ पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने भी ‘खालिस्तानी’ शब्द का उपयोग किया। यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि सिन्हा ने अर्शदीप को ‘खालिस्तानी’ कहा ही नहीं था। बल्कि, सिन्हा ने इस तरफ इशारा किया था कि ‘किंग्स इलेवन पंजाब’ का आधिकारिक ट्विटर हैंडल पाकिस्तानी टीम के लिए चीयर कर रहा था, मगर उन्होंने अर्शदीप को खालिस्तानी नहीं कहा था। ट्वीट के लिए एक वेब आर्काइव लिंक था, मगर आर्काइव लिंक में विशेष लिंक को आर्काइव नहीं किया गया था। सिन्हा ने जुबैर का भी जवाब देते हुए कहा कि वह अर्शदीप का नहीं, बल्कि किंग्स इलेवन के ट्विटर हैंडल की बात कर रहे हैं। जुबैर के झूठे ट्वीट की वजह से सिन्हा भी सोशल मीडिया पर ट्रोल हुए।

वहीं, जुबैर ने अपने प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ाते हुए दावा किया कि भारतीयों और पाकिस्तानियों ने अर्शदीप को खालिस्तानी कहने के साथ उन्हें गालियाँ भी दीं। हालाँकि, हॉक आई ने इस बात को प्रमुखता से उठाया कि किस तरह जुबैर के ट्वीट के बाद खालिस्तानी शब्द का इस्तेमाल होना शुरू हुआ। हैंडल ने फैक्ट्स के साथ अपनी बात रखते हुए जुबैर के ट्वीट को शेयर किया और लिखा कि, “आपके ट्वीट करने के 45 मिनट पहले ये कीवर्ड सोशल मीडिया पर ट्रेंड नहीं कर रहा था। आप अपने कोलाज में राइट विंग हैंडल का जिक्र कर रहे हैं। लेकिन Google ट्रेंड, विकीपीडिया पेज में बदलाव, पाकिस्तानियों और इसे शुरू करने वाले ‘Dunya Ch’ के डेटा को क्यों छोड़ रहे हैं?”

 

‘द हॉक आई (The Hawk Eye)’ ने अपने ट्वीट के साथ कुछ स्क्रीनशॉट भी साझा किए हैं। पहले स्क्रीनशॉट में स्पष्ट देखा जा सकता है कि जुबैर के ट्वीट से पहले खालिस्तानी शब्द का उपयोग करते हुए 500 से कम ट्वीट हुए थे। मगर ज़ुबैर के ट्वीट के एक घंटे के अंदर यह आंकड़ा 1000 के पार पहुंच गया और तेजी से बढ़ने लगा। अगले दिन दोपहर में 3:30 बजे तक यह 16,000 से ज्यादा हो गया। गूगल ट्रेंड्स मैप के अनुसार, खालिस्तानी शब्द को फैलाने के इस विवाद में पाकिस्तान का 46 फीसदी योगदान था। इसके अलावा यूएई से 20 फीसद, भारत से 17 फीसद और कतर से 7 फीसद ट्वीट इस शब्द को लेकर किए गए थे।

 

बता दें कि पाकिस्तानी मूल के पत्रकार WS खान ने ट्वीट किया था कि कैच ड्राप होने के महज 3 मिनट बाद ही अर्शदीप खालिस्तानी आंदोलन में शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा पाकिस्तानी इन्फ्लुएंसर ओसामा जिसे ‘ashaqueens’ ट्विटर हैंडल से जाना जाता है, उसने कहा था कि अर्शदीप को खालिस्तानी आंदोलन का सपोर्ट करना चाहिए, क्योंकि वह कैच ड्राप करने के बाद अब भारत नहीं जा सकता। कैच छूटने के महज 12 मिनट बाद ये ट्वीट किया गया था। इस पूरे विवाद का एक और अहम पहलू यह है कि जुबैर ने जानबूझकर ‘खालिस्तानी’ शब्द को ही सर्च किया था। इस बात की पुष्टि उसके सभी स्क्रीनशॉट से होती है, जिसमें यह शब्द बोल्ड अक्षरों में दिख रहे हैं। ऐसा तभी होता है, जब आप ट्विटर पर सर्च रिजल्ट से ट्वीट्स के स्क्रीनशॉट ले रहे होते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि मोहम्मद ज़ुबैर ने भारतीय होते हुए भी भारत को नीचा दिखाने के लिए चलाए जा रहे पाकिस्तानी प्रोपेगेंडा में क्यों मदद की ?

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