जीप घोटाला: जब भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार की गईं थी इंदिरा गांधी
जीप घोटाला: जब भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार की गईं थी इंदिरा गांधी
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4 अक्टूबर का दिन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन है। वर्ष 1977 में इसी दिन देश की पूर्व पीएम इंदिरा गांधी को जेल से रिहा किया गया था। उस वक़्त देश में पूर्व पीएम मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार थी और चौधरी चरण सिंह केन्दीय गृह मंत्री थे। भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार की गईं इंदिरा गांधी को बाद में आज ही के दिन तकनीकी आधार पर रिहा कर दिया गया था। दरअसल, इंदिरा गांधी पर चुनाव प्रचार में उपयोग की गईं जीपों की खरीदारी में भ्रष्टाचार का इल्जाम लगा था। रायबरेली में चुनाव प्रचार के उद्देश्य से इंदिरा गांधी के लिए 100 जीपें खरीदी गई थीं। उनके विरोधियों का इल्जाम था कि ये जीपें कांग्रेस पार्टी के फंड से नहीं खरीदी गईं, बल्कि उसके लिए उद्योगपतियों ने भुगतान किया है और सरकारी पैसे का उपयोग किया गया है।

कुछ लोग यह भी मानते हैं कि इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी के पीछे इमरजेंसी भी एक कारण था। इस थिअरी के अनुसार, आपातकाल के दौरान हुए जुल्म और नाइंसाफी से नेताओं में बीच इंदिरा गांधी के प्रति नाराजगी थी। इमरजेंसी के दौरान कई नेताओं को इंदिरा गांधी ने जेल में डाल दिया था। इससे उन लोगों में आक्रोश था और वे चाहते थे कि इंदिरा गांधी को भी जेल में डाला जाए। चुनाव में इंदिरा गांधी की शिकस्त के बाद उनकी गिरफ्तारी का रास्ता और साफ हो गया। तत्कालीन गृह मंत्री चौधरी चरण सिंह तो जनता पार्टी के सत्ता में आते ही इंदिरा गांधी को अरेस्ट करने के पक्ष में थे, मगर तत्कालीन पीएम मोरारजी देसाई कानून के खिलाफ कुछ भी करने को राजी नहीं थे। उनका कहना था कि बिना ठोस आधार के इंदिरा गांधी को अरेस्ट न किया जाए। ऐसे में चौधरी सिंह किसी मजबूत केस की तलाश में थे, जिसे आधार बनाकर वे इंदिरा को सलाखों के पीछे भेजा सके। उनको जीप घोटाले की शक्ल में एक मजबूत केस मिल गया। शुरू में इंदिरा गांधी को गिरफ्तार करने की तारीख 1 अक्टूबर निर्धारित की गई थी, मगर इस पर गृह मंत्री की पत्नी ने रोक लगा दी। उनका कहना था कि 1 अक्टूबर शनिवार का दिन है और उस दिन गिरफ्तारी से दिक्कत हो सकती है। फिर चौधरी चरण सिंह 2 अक्टूबर को गिरफ्तारी की तारीख रखना चाहते थे, किन्तु उनके स्पेशल असिस्टेंट विजय करण और चौधरी के दामाद के करीबी IPS मित्र ने 2 अक्टूबर के बाद गिरफ्तारी का सुझाव दिया। 3 अक्टूबर की सुबह इंदिरा गांधी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गई। उस वक़्त के CBI डायरेक्टर एन.के.सिंह ने FIR की एक कॉपी इंदिरा गांधी को दे दी और उसी दिन उनको अरेस्ट कर लिया गया।

उनको अरेस्ट करने के बाद बड़कल लेक गेस्ट हाउस में हिरासत में रखा जाना था। लेकिन किसी वजह से इंदिरा को वहां नहीं रखा जा सका और रात किंग्सवे कैंप की पुलिस लाइन में बने गैजेटेड ऑफिसर्स मैस में लाया गया। अगले दिन यानी 4 अक्टूबर, 1977 की सुबह उनको मैजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेश गया, जहां मैजिस्ट्रेट ने आरोपों के समर्थन में प्रमाण मांगे। जब उनकी गिरफ्तारी के समर्थन में कोई प्रमाण पेश  नहीं किए जा सके तो मैजिस्ट्रेट ने हैरानी जताते हुए और इंदिरा गांधी को इस आधार पर बरी कर दिया गया कि उनकी हिरासत के समर्थ में कोई प्रमाण नहीं दिया गया था। इस तरह इंदिरा गांधी को राजनीतिक भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार करने के 16 घंटे बाद रिहा कर दिया गया था

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