क्या होता है ‘टू फिंगर टेस्ट’, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद क्यों नहीं हुआ बंद ?
क्या होता है ‘टू फिंगर टेस्ट’, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद क्यों नहीं हुआ बंद ?
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नई दिल्ली: ‘टू फिंगर टेस्ट’ मामले में शीर्ष अदालत ने कहा कि ये टेस्ट करने वालों को दोषी माना जाएगा. अदालत ने कहा कि अफसोस की बात है कि बैन होने के बाद भी ‘टू फिंगर टेस्ट’ आज भी किया जा रहा है. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली एक पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस कोर्ट ने बार-बार दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न के मामलों में इस टेस्ट के इस्तेमाल की निंदा की है. इस टेस्ट का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि टू फिंगर टेस्ट करने वालों पर केस होना चाहिए. ये टेस्ट पीड़ित को फिर से आघात पहुंचाता है. शीर्ष अदालत ने मेडिकल कॉलेजों के स्टडी मैटेरियल से इस टेस्ट को हटाने का आदेश देते हुए कहा कि दुष्कर्म पीड़िता की जांच की अवैज्ञानिक विधि यौन उत्पीड़न की पीड़ित महिला को फिर से आघात पहुंचाती है. 

बता दें कि 2013 के लिलु राजेश बनाम हरियाणा राज्य के एक मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने टू फिंगर टेस्ट को असंवैधानिक करार दिया था. अदालत ने इसे दुष्कर्म पीड़िता की निजता और उसके सम्मान का हनन करने वाला बताया था. न्यायालय ने कहा था कि यह शारीरिक और मानसिक चोट पहुंचाने वाला टेस्ट है. यह टेस्ट पॉजिटिव भी आ जाए तो नहीं माना जा सकता है कि यौन संबंध आपसी सहमति से बने हैं. 

दरअसल, 16 दिसंबर 2012 के सामूहिक बलात्कार के बाद जस्टिस वर्मा के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई गई थी. कमिटी ने अपनी 657 पन्नों की रिपोर्ट में कहा था कि टू फिंगर टेस्ट में वजाइना की मांसपेशियों का लचीलापन देखा जाता है. इससे यह पता चलता है कि महिला सेक्सुअली एक्टिव थी या नहीं. लेकिन, इसमें यह पता नहीं चलता कि उसकी सहमति से या इसके विपरीत जाकर संबंध बनाए गए. इस कारण यह टेस्ट बंद होना चाहिए. हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी दुष्कर्म पीड़िताओं को शर्मिंदा करने वाला यह टू-फिंगर टेस्ट होता रहा है. 2019 में ही लगभग 1500 रेप सर्वाइवर्स और उनके परिजनों ने अदालत में शिकायत देते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी यह टेस्ट हो रहा है. याचिका में टेस्ट को करने वाले डॉक्टरों का लाइसेंस रद्द करने की मांग की गई थी. बता दें कि संयुक्त राष्ट्र (UN) भी इस टेस्ट को मान्यता नहीं देता है.

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