विदेशी फिल्म निर्देशक को PM इंदिरा गांधी ने दिए थे 75 करोड़, मकसद था - Gandhi की आड़ में 'कांग्रेस' का प्रचार
विदेशी फिल्म निर्देशक को PM इंदिरा गांधी ने दिए थे 75 करोड़, मकसद था - Gandhi की आड़ में 'कांग्रेस' का प्रचार
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नई दिल्ली: विवेक अग्निहोत्री की मूवी ‘द कश्मीर फाइल्स’ की कामयाबी कई आलोचकों और राजनेताओं को हजम नहीं हो रही है। उनका आरोप है कि केंद्र सरकार इस फिल्म को प्रमोट कर रही है। ये लोग गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा जैसे बीजेपी शासित राज्यों में इस फिल्म को टैक्स फ्री करने पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं। NDTV के वरिष्ठ पत्रकार श्रीनिवासन जैन ने भी कश्मीरी पंडितों के वीभत्स नरसंहार की सच्चाई दिखने वाली इस फिल्म को मिल रही तारीफ के लिए केंद्र सरकार पर सवाल खड़े किए हैं।

 

जैन ने ट्वीट करते हुए सवाल किया है कि 'क्या कोई बता सकता है कि अपने सियासी विरोधियों को टारगेट करने के लिए भारत सरकार ने एक व्यवसायिक फिल्म को प्रमोट करने के लिए पिछली बार अपना पूरा दमखम कब लगाया था?' जैन के इस ट्वीट के बाद यह बात सामने आई है कि प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गाँधी ने ब्रिटिश फिल्मकार रिचर्ड एटनबरो को ‘गाँधी’ मूवी बनाने के लिए $10 मिलियन (करीब 75 करोड़ रुपए) दिए थे। इसके पीछे मंशा थी ‘गाँधी’ की आड़ लेकर जनता के बीच कांग्रेस का प्रचार करने की। पॉपुलर ट्विटर यूजर विक्रांत ने NDTV के जैन को फिल्म ‘गाँधी’ से जुड़े इस तथ्य की जानकारी दी है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि, 'सन 1980 में तत्कालीन पीएम इंदिरा गाँधी ने फिल्म गाँधी बनाने के लिए रिचर्ड एटनबरो को 7 मिलियन डॉलर का फण्ड उपलब्ध करवाया था। इस फिल्म की स्क्रिप्ट को इंदिरा सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा परखा भी गया था। इस फिल्म का मकसद गाँधीवाद और आज़ादी की लड़ाई में कांग्रेस के योगदान का महिमामंडन करना था।' विक्रांत ने अपने अगले ट्वीट में लिखा कि, कुल फंडिंग 10 मिलियन डॉलर की थी, 7 मिलियन शुरूआती फंडिंग थी। 

 

विक्रांत के दावे के अनुसार, गाँधी फिल्म को प्रोड्यूस करने वाली संस्थाओं में नेशनल फिल्म डेवलोपमेन्ट कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया (NFDC) भी शामिल थी। केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधीनस्थ आने वाली यह संस्था सन 1975 से भारतीय सिनेमा को प्रमोट कर रही है। सन 1982 में NFDC के चेयरमैन DVS राजू थे। सार्वजनिक तौर पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, फिल्म की सह-निर्माता रानी दूबे ने पीएम इंदिरा गाँधी को भारतीय राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम से 10 मिलियन डॉलर देने के लिए मना लिया था। एटनबरो द्वारा निर्मित और निर्देशित यह फिल्म 30 नवंबर 1982 को भारत के सिनेमाघरों में रिलीज की गई थी। इस फिल्म में अंतिम ब्रिटिश वायसराय लार्ड लुईस माउंटबेटन और लंदन में भारत के हाई कमिश्नर रहे मोतीलाल कोठारी को भी श्रद्धांजलि दी गई है। मोतीलाल कोठारी गाँधी और नेहरू के प्रबल समर्थक माने जाते थे।

रिपोर्ट्स के अनुसार, फिल्म ‘गाँधी’ को बनाने की 2 कोशिशें पहले भी हो चुकी थी। यह निर्देशक एटनबरो का ड्रीम प्रोजेक्ट भी था। हंगरी के फिल्म निर्माता गाब्रिएल पास्कल ने इससे पहले 1952 में तत्कालीन PM जवाहर लाल नेहरू के सामने गाँधी पर फिल्म बनाने की इच्छा रखी थी। लेकिन, सन 1954 में पास्कल की मौत हो जाने के कारण यह फिल्म नहीं बन सकी। बाद में लुईस माउंटबेटन के जरिए रिचर्ड एटनबरो ने भारत के तत्कालीन PM जवाहरलाल नेहरू और उनकी पुत्री इंदिरा गाँधी से साल 1962 में मुलाकात की। तब नेहरू ने एटनबरो को फिल्म बनाने की इजाजत दे दी और इसके लिए धन जुटाने का भी आश्वासन दिया था। वर्ष 1964 में नेहरू का निधन हो जाने के बाद एक बार फिर से यह फिल्म नहीं बन सकी थी।

मगर, एटनबरो ने हार नहीं मानी। उन्होंने वर्ष 1976 में इस प्रोजेक्ट को वार्नर ब्रदर्स के साथ पूरा करने का मन बनाया। उसी वक़्त इंदिरा गाँधी ने भारत में आपातकाल लगा दिया था। इस तरह से एक बार फिर से यह फिल्म नहीं बन सकी। आखिरकार 20 वर्ष बाद इंदिरा गाँधी ने न केवल यह फिल्म बनाने की इजाजत दी, बल्कि इसके लिए पैसे का भी प्रबंध किया।  

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