बहुत कम लोग पहुँचते हैं अदालत, ज्यादातर मौन रहकर पीड़ा सहते रहते हैं - CJI एनवी रमण
बहुत कम लोग पहुँचते हैं अदालत, ज्यादातर मौन रहकर पीड़ा सहते रहते हैं - CJI एनवी रमण
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नई दिल्ली: देश के प्रधान न्यायाधीश (CJI) एन. वी. रमण ने न्याय तक पहुंच को 'सामाजिक उद्धार का उपकरण' करार दिया है। उन्होंने आज यानी शनिवार (30 जुलाई) को कहा कि जनसंख्या का काफी कम हिस्सा ही अदालतों में पहुंच पाता है और ज्यादातर लोग जागरुकता व आवश्यक माध्यमों के अभाव में मौन रहकर पीड़ा सहते रहते हैं। 

CJI रमण अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों की पहली बैठक में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि लोगों को सक्षम बनाने में प्रौद्योगिकी अहम भूमिका निभा रही है। उन्होंने न्यायपालिका से 'न्याय देने की गति बढ़ाने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी उपकरण अपनाने' का आग्रह किया है। CJI रमण ने आगे कहा कि, 'सामाजिक, आर्थिक और राजनितिक न्याय की इसी सोच का वादा हमारी (संविधान की) प्रस्तावना प्रत्येक भारतीय से करती है। हकीकत यह है कि आज हमारी आबादी का सिर्फ एक छोटा प्रतिशत ही इंसाफ देने वाली प्रणाली से आवश्यकता पड़ने पर संपर्क कर सकता है। जागरुकता और जरूरी साधनों की कमी की वजह से ज्यादातर लोग मौन रहकर पीड़ा सहते रहते हैं।'

CJI एनवी रमण ने कहा कि, 'आधुनिक भारत का निर्माण समाज में असमानताओं को दूर करने के लक्ष्य के साथ किया गया था। लोकतंत्र का मतलब सभी की भागीदारी के लिए स्थान उपलब्ध कराना है। सामाजिक उद्धार के बिना यह भागीदारी संभव नहीं होगी। इंसाफ तक पहुंच सामाजिक उद्धार का एक साधन है।'

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