कोरोना के खिलाफ ऐसा भोजन ही बना सकता है रक्षा कवच
कोरोना के खिलाफ ऐसा भोजन ही बना सकता है रक्षा कवच
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दुनियाभर के लोग महामारी कोरोना वायरस के खतरे से आज दहशत में हैं. देश-दुनिया की तमाम संबंधित संस्थाएं और चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोग इस बीमारी की दवा या इससे बचाव का मुकम्मल रास्ता तलाश रहे हैं. इसी बीच अमेरिकन कॉलेज ऑफ कॉर्डियोलॉजी की एक ताजा रिपोर्ट में यह कहा गया है कि स्वस्थ रहना हो तो शाकाहारी बनिए. माना जा रहा है कि कोरोना वायरस चमगादड़ के सेवन से इंसानों में फैला. इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि मांसाहारी होना कितना घातक हो सकता है.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि बीते पांच वर्षो के दौरान 33 देशों के कुल 76 हजार लोगों पर किए गए एक सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि भारत में पेट की बीमारियों की भयावहता अन्य देशों के मुकाबले कुछ कम है. इसके अलावा भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संस्कार भी मजबूत हैं. कहा भी जाता है कि मानसिक शांति शरीर को मजबूत बनाती है तथा इससे शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ती है. शायद यही कारण है कि चीन, जिसे इस वायरस का उद्गम स्थल माना जा रहा है, वहां शाकाहार के प्रति उत्सुकता जगी है. ‘ब्लूमबर्ग’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन अब शाकाहारी अंडों के उत्पादन में दिलचस्पी ले रहा है. कोरोना फैलने के बाद इसकी मांग में तेजी आई है.

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इसके अलावा भारत शाकाहार का जन्मस्थल रहा है. मशहूर वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने कहा था कि धरती पर जीवन को बनाए रखने में कोई भी चीज मनुष्य को इतना फायदा नहीं पहुंचाएगी जितना शाकाहार का विकास. कुछ समय पहले तक यह मान्यता थी कि मांसाहार से शरीर तंदुरुस्त रहता है, लेकिन अब यह धारणा बदलने लगी है. भोजन में मांसाहार को तवज्जो देने वाले लोग भी मानने लगे हैं कि मांसाहार स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालता है. इसलिए दुनिया के कई देशों में शाकाहार को प्राथमिकता दी जाने लगी है. शाकाहार के पक्ष में दुनिया भर में माहौल तेजी से बनने लगा है. ‘फ्रेंड्स ऑफ अर्थ’ नामक संस्था के मुताबिक दुनिया भर में मात्र पचास करोड़ लोग पूरी तरह से शाकाहारी हैं. दुनिया में तीन तरह का भोजन करने वाले लोग हैं. पहले वे जो मांसाहारी हैं, दूसरे वे जो शाकाहारी हैं, और तीसरे वीगन, जो जानवरों से प्राप्त होने उत्पाद जैसे दूध, पनीर आदि का भी सेवन नहीं करते हैं.

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