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जम्मू एवं कश्मीर / श्रीनगर : जम्मू एवं कश्मीर सरकार ने गुरुवार को कट्टरपंथी अलगाववादी नेता मसरत आलम के खिलाफ लोक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत मामला दर्ज किया और उसे घाटी के बाहर दूसरी जेल में स्थांतरित कर दिया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने सूत्रों को बताया, "हां, मसरत के खिलाफ बुधवार को पीएसए वारंट जारी किया गया और वारंट के अनुसार गुरुवार को मामला दर्ज किया गया। उसे घाटी से बाहर दूसरी जेल में हिरासत पर रखा जा रहा है।"
मसरत को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी)-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गंठबंधन सरकार ने सात मार्च को रिहा कर दिया था, जिससे बड़ा विवाद शुरू हो गया था। मसरत को 2010 में घाटी में अशांति के दौरान गिरफ्तार किया गया था। मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद नीत सरकार ने कहा था कि पीएसए के अंतर्गत मसरत के हिरासत की अवधि समाप्त हो गई है और उसके हिरासत का कोई नया आधार नहीं है।
2010 में घाटी में अशांति के दौरान सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प में 110 लोगों की मौत हो गई थी। अधिकारियों का मानना है कि 2010 में प्रदर्शन कराने के पीछे मसरत का हाथ था। उसके स्थान की जानकारी देने को लेकर 10 लाख रुपये के ईनाम की घोषणा के बाद उसकी गिरफ्तारी हुई थी। 15 अप्रैल को युवकों ने अलगाववादियों की रैली में पाकिस्तान का झंडा लहराते हुए पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी की थी।
इस रैली का नेतृत्व मसरत ने सैयद अली गिलानी का स्वागत करने के लिए किया था। पुलिस ने मसरत को 17 अप्रैल को देशद्रोह और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के मामले में गिरफ्तार किया था। मसरत के वकील ने गुरुवार को बड़गाम जिला स्थित मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम)अदालत में जमानत की अर्जी दी थी। मसरत को सीजेएम ने सात दिनों की पुलिस हिरासत में भेजा था। हिरासत की अवधि शनिवार को समाप्त हो रही है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि मसरत को जम्मू क्षेत्र के कोटबलवाल जेल में बंद रखा गया है।