नई दिल्ली: देश के सबसे युवा पीएम रहे राजीव गांधी की आज जयंती है। राजीव गाँधी की पत्नी सोनिया और उनकी संतान राहुल-प्रियंका ने आज उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि, राजीव गाँधी कभी सियासत में नहीं आना चाहते थे, पढ़ाई करने के बाद पायलट बनकर, वे अपनी ज़िन्दगी अच्छे तरीके से जी रहे थे, किन्तु इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उन्हें मजबूरन सियासत में उतरना पड़ा। यदि उनके भाई संजय गांधी जीवित होते, तो शायद राजीव गांधी को राजनीति ना आना पड़ता। राजीव गांधी ने देश को आधुनिक बनाने और कम्प्यूटर को भारत लाने में अहम भूमिका निभाई, किन्तु उनका नाम कई विवादों से भी जुड़ा रहा। कुछ विवाद तो ऐसे थे, जो आज भी कांग्रेस के विरोधयों के लिए हथियार बने हुए हैं।
#WATCH| Congress leader Rahul Gandhi and Congress General Secretary Priyanka Gandhi Vadra pay homage to former PM Rajiv Gandhi on his 32nd death anniversary at Vir Bhumi in Delhi pic.twitter.com/HyaRAgpnnv
— ANI (@ANI) May 21, 2023
1984 सिख दंगा: 'जब बड़ा पेड़ गिरता है, तो जमीन हिलती है'
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद लोग, खासकर कांग्रेस के कार्यकर्ता, सिखों के खिलाफ आक्रामक हो गए थे। सबसे ज्यादा कहर दिल्ली पर बरसा। लगभग तीन दिन तक दिल्ली की सड़कों औऱ गलियों पर सिखों का कत्लेआम चलता रहा। सिख जान बचाने के लिए पनाह ढूंढ रहे थे। 31 अक्टूबर को इंदिरा गाँधी की हत्या हुई और इसके कुछ ही दिन बाद नई नवेली राजीव सरकार ने इंदिरा का जन्मदिन (मृत्युपर्यन्त) मनाने की घोषणा कर दी। सिखों के घर में मातम पसरा हुआ था, और 19 नवंबर 1984 को इंदिरा जयंती पर राजीव ने बेहद गैर जिम्मेदाराना बयान दे डाला। उन्होंने बोट क्लब में लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि ''जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती थोड़ी हिलती है।'' राजवी गांधी के बयान से लोगों में यह संदेश गया- 'मानो इन हत्याओं को जायज़ ठहराने का प्रयास किया जा रहा था। इस बयान ने उस समय काफ़ी सनसनी मचाई थी और उसको सही ठहराने में कांग्रेस पार्टी को अभी भी काफ़ी पापड़ बेलने पड़ते हैं।
Rajiv Gandhi’s legacy of mob lynching… pic.twitter.com/ZaJ6q8lQsc https://t.co/2qLSNvkBuz
— DeshkaSipahe (@Mohinder12) December 21, 2021
भोपाल गैस कांड: वॉरेन एंडरसन का देश से फरार होना
1984 की काली रात का भोपाल गैसकांड को कोई भी भारतीय नहीं भूल सकता। जब पूरे शहर पर मौत पसर गई थी। जो घरों में सो रहे थे, उनमें से हजारों सोते ही रह गए, भोपाल की यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से जहरीली गैस का रिसाव होने लगा। जिससे देखते ही देखते हजारों लोग इसकी चपेट में आ गए। चंद घंटों में 3000 जीवित मनुष्य, लाश बन गए। भोपाल गैस कांड के चार दिन बाद 7 दिसंबर को यूनियन कार्बाइड के मालिक वारेन एंडरसन भोपाल पहुंचा, वहां उसे अरेस्ट भी कर लिया गया। किन्तु महज 25 हजार रुपए में उसे जमानत दे दी गई। उसे यूनियन कार्बइड के भोपाल गेस्ट हाउस में नजरबंद रखा गया था, मगर अंदर ही अंदर पूरा सिस्टम उसे भागने में मदद कर रहा था। रातों रात एंडरसन को एक सरकारी विमान द्वारा भोपाल से दिल्ली लाया गया। दिल्ली मे वह अमेरिकी राजदूत के आवास पर पहुंचा और फिर वहां से एक प्राइवेट एयरलाइंस से मुंबई और मुंबई से अमेरिका रवाना हो गया। मध्य प्रदेश के पूर्व विमानन निदेशक आरएस सोढ़ी ने इसे लेकर एक बयान भी दिया था, जिसमे उन्होंने कहा था कि उनके पास एक फोन आया था जिसमें भोपाल से दिल्ली के लिए एक सरकारी विमान तैयार रखने को कहा गया था। इसी विमान में बैठकर एंडरसन दिल्ली पहुंचा था। उस समय भोपाल के पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी एंडरसन को विमान में चढ़ाने के लिए खुद गए थे। उस समय मध्य प्रदेश के सीएम अर्जुन सिंह थे और राजीव गाँधी पीएम थे। अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के खुफिया दस्तावेजों के अनुसार, हज़ारों लोगों की मौत के जिम्मेदार एंडरसन की रिहाई के आदेश खुद राजीव गांधी सरकार ने दिए थे।
शाह बानो केस: कट्टरपंथियों के आगे झुकी राजीव सरकार
1986, राजीव गांधी अभी राजनीति सीख ही रहे थे। इसी बीच मध्य प्रदेश के इंदौर की शाह बानो का मामला सुर्ख़ियों में आया. शाह बानो के शौहर और मशहूर वकील मोहम्मद अहमद खान ने शादी के 43 साल बाद उन्हें तीन तलाक दे दिया। शाह बानो अपने पांच बच्चों के साथ घर से बेदखल कर दी गईं। निकाह के समय तय हुई मेहर की रकम तो अहम खान ने वापस कर दी, मगर शाह बानो ने प्रतिमाह गुजारा भत्ता की मांग रखी. उनके सामने अदालत जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। अदालत ने केस का फैसला शाह बानो के पक्ष में दिया और अहमद खान को 500 रुपए हर महीने गुजारा भत्ता देने का आदेश दे दिया। शाह बानो के इस कदम ने दूसरी मुस्लिम महिलाओं में भी साहस भर दिया, जिससे मुस्लिम समुदाय के पुरुष बेहद गुस्सा हुए। हालांकि, शाह बानो केस में पहले राजीव गाँधी ने अपने गृह राज्य मंत्री आरिफ मोहम्मद खान को आगे किया था। मोहम्मद आरिफ ने लोकसभा में शाह बानो का समर्थन भी किया। उन्होंने लोकसभा में कहा कि कुरान के मुताबिक, किसी भी हालत में तालकशुदा औरत के लिए वाजिब इंतज़ाम किया ही जानी चाहिए। मगर कंट्टरपंथियों के दबाव में आकर राजीव सरकार ने अपने कदम पीछे खींच लिए, साथ ही लोकसभा में अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए सुप्रीम कोर्ट का फैसले ही पलट दिया। उस वक़्त तो धर्म की सियासत कर के राजीव गांधी ने चंद मुस्लिमों को खुश कर दिया, लेकिन मुस्लिम महिलाओं को एक अंधेरे भविष्य के लिए छोड़ दिया, इसके बाद हज़ारों की संख्या में ऐसे मामले आए, जहाँ तीन तलाक ने मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी बर्बाद कर दी।
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