नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा 370 हटाने के मोदी सरकार के फैसले को सही ठहराने पर देश की सबसे पुरानी और सबसे अधिक समय तक शासन करने वाली पार्टी कांग्रेस की प्रतिक्रिया सामने आई है। पार्टी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से मोदी सरकार के फैसले को सही ठहराया है, पार्टी सम्मानपूर्वक उससे असहमति व्यक्त करती है। कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदम्बरम तथा पार्टी के राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कांग्रेस हेडक्वार्टर में 370 हटाने पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर असहमति जताई और कहा कि पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था कांग्रेस कार्य समिति (CWC) का संकल्प है कि अनुच्छेद 370 तब तक सम्मान के योग्य है, जब तक कि इसे भारत के संविधान के मुताबिक संशोधित नहीं किया जाता।
#WATCH अनुच्छेद 370 पर SC के फैसले पर कांग्रेस सांसद पी.चिदंबरम ने कहा, "जिस तरीके से अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया, उस फैसले से हम सम्मानपूर्वक असहमत हैं। हम CWC के संकल्प को दोहराते हैं कि अनुच्छेद 370 तब तक सम्मान के योग्य है जब तक कि इसे भारत के संविधान के अनुसार सख्ती से… pic.twitter.com/X20GabW5j3
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 11, 2023
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदम्बरम ने कहा कि, 'हम इस फैसले की इस बात से भी निराश हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य को विभाजित कर दो केंद्र शासित प्रदेश बनाने के सवाल पर फैसला नहीं लिया। कांग्रेस ने शुरू से जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के केंद्र के फैसले का विरोध कर जम्मू कश्मीर में पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग की है। हम इस संबंध में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा फ़ौरन बहाल किया जाना चाहिए और लद्दाख के लोगों की आकांक्षाएं भी पूरी होनी चाहिए।'
चिदंबरम ने विधानसभा चुनाव कराने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का स्वागत किया और कहा कि राज्य में जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव कराए जाने चाहिए। कांग्रेस नेता ने कहा कि आजादी के बाद भारत में विलय की प्रक्रिया पूरी होने के पश्चात से जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा रहा है। जम्मू-कश्मीर के लोग भारत के नागरिक हैं और कांग्रेस राज्य की सुरक्षा, शांति, विकास और प्रगति के लिए काम करने के अपनी प्रतिबद्धता को दोहराती हैं।
#WATCH | On Supreme Court constitutionally validating the removal of Article 370, Congress leader and senior advocate Abhishek Manu Singhvi says, "...Elections have not been held in Jammu and Kashmir after 2014. Democracy and not autocracy is the demand of every citizen of J&K.… pic.twitter.com/JmxBmOvbTO
— ANI (@ANI) December 11, 2023
वहीं, सुप्रीम कोर्ट के वकील और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद सिंघवी ने कहा कि, 'हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के सामने नतमस्तक हैं, किन्तु देश के एक आम नागरिक की हैसियत से कह सकता हूं कि इस फैसले में एक विरोधाभास है। फैसले में यह नहीं कहा गया है कि आखिर एक प्रदेश का दर्जा घटाकर उसे केंद्र शासित प्रदेश क्यों बनाया गया है, जबकि दूसरी तरफ अदालत लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के फैसले को सही मानती है। एक ही प्रदेश के एक हिस्से को केंद्र शासित प्रदेश बनाने को लेकर कोई फैसला नहीं देना और फिर उसी राज्य के दूसरे हिस्से को केंद्र शासित प्रदेश बनाने को जायज बताना विरोधाभास है। यह संवैधानिक गलती नज़र आ रही है। फैसले में एक तरफ सरकार के आश्वासन को माना गया है और दूसरी ओर अगले सितम्बर तक चुनाव कराए जाने के निर्देश दिया गया है।'
कांग्रेस के लिए सुप्रीम कोर्ट में कई केस लड़ चुके वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारी 18 फीसद है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी की दर 8 फीसद है। शहरी क्षेत्र में बेरोजगोरी 31 फीसद है, जबकि महिलाओं में ये आंकड़े 51 फीसद हैं। जम्मू-कश्मीर में विनिवेश 2021-22 में पहले वित्त वर्ष की तुलना में बहुत कम है। वहीं, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPIM) ने अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ‘परेशान करने वाला’ करार देते हुए कहा कि इसके संविधान के संघीय ढांचे पर गंभीर परिणाम होंगे। इसके अलावा जम्मू कश्मीर के स्थानीय सियासी दलों, जैसे महबूबा मुफ़्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) और फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस (NC) ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर असहमति जताई है। दरअसल, देश के मुस्लिमों का एक बड़ा तबका शुरू से 370 लागू करने का समर्थक रहा है, जो पाकिस्तानियों को कश्मीर में आने और वहां की नागरिकता हासिल करने की आज़ादी देता है। ऐसे में उन पार्टियों का सुप्रीम कोर्ट के फैसले से असहमत होना स्वाभाविक है, जिन्हे चुनावों में बड़ी संख्या में मुस्लिम वोट मिलते हैं, यदि अभी वो सुप्रीम कोर्ट से सहमत होते हैं, तो उनके वोटर नाराज़ हो सकते हैं।
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