'कनवर्टेड लोगों की राय जरूरी नहीं, हम एक जैसे नहीं..', स्मृति ईरानी के मदीना दौरे पर भड़के मुस्लिमों को सऊदी वालों ने दिया जवाब
'कनवर्टेड लोगों की राय जरूरी नहीं, हम एक जैसे नहीं..', स्मृति ईरानी के मदीना दौरे पर भड़के मुस्लिमों को सऊदी वालों ने दिया जवाब
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नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने इस सप्ताह इस्लाम के पवित्र तीर्थ मदीना का दौरा किया था। सऊदी अरब के मदीना का दौरा करने वाले गैर-मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल में कश्मीरी हिंदू IRS अधिकारी निरुपमा कोटरू भी शामिल थीं। केंद्रीय मंत्री ईरानी को साड़ी पहने और बिना हिजाब पहने पवित्र शहर का दौरा करते देखा गया था, जो सऊदी अरब और भारत के बीच घनिष्ठ सांस्कृतिक संबंधों और आपसी सांस्कृतिक समझ को दर्शाता है।

इस यात्रा के दौरान स्मृति ईरानी ने हज की तैयारियों की समीक्षा की, सऊदी अरब के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की और जेद्दा में उमरा सम्मेलन में भाग लिया। उन्होंने पैगंबर की मस्जिद, अल मस्जिद अल नबवी, उहुद के पहाड़ और क़ुबा मस्जिद - इस्लाम की पहली मस्जिद की परिधि का दौरा भी किया। लेकिन, उनकी इस यात्रा ने भारतीय उपमहाद्वीप के मुसलमानों और पाकिस्तानियों को और अधिक परेशान कर दिया है। पाकिस्तानी समाचार पोर्टल 'द न्यूज' ने स्मृति ईरानी के पहनावे पर सवाल उठाए और प्रतिनिधिमंडल को भारतीय प्रतिनिधिमंडल नहीं बल्कि हिंदू प्रतिनिधिमंडल कहकर संबोधित किया।

 

पाकिस्तानी मीडिया इस बात से भी गुस्सा था कि मंत्री वी मुरलीधरन ने यात्रा के दौरान धोती और भगवा कुर्ता पहना था, जबकि ईरानी ने अपने माथे पर एक हिंदू प्रतीक बिंदी लगा रखी थी और वे बिना हिजाब के थीं। कई मुस्लिम सोशल मीडिया यूज़र्स ने भी स्मृति ईरानी के मदीना दौरे पर गुस्सा जताया था और सऊदी अरब को भला बुरा कहा था। उनका कहना था कि, किसी भी गैर मुस्लिम (काफिर) को मदीना में जाने कि इजाजत नहीं है और सऊदी ने ऐसा करके पैगम्बर मोहम्मद के वचनों का उल्लंघन किया है। इसके अलावा भी कई बातें कहीं गईं थी, जिसमे सऊदी के शासकों को शैतान के अनुयायी कहना भी शामिल था। 

 

भारत और पाकिस्तान के मुस्लिमों द्वारा इस तरह के ट्वीट बड़ी मात्रा में किए गए, लेकिन अब सऊदी के मुस्लिमों ने खुद इसका जवाब देना शुरू कर दिया है। सऊदी अरब के एक मुस्लिम सोशल मीडिया यूजर ने इन टिप्पणियों का जवाब देते हुए कहा है कि ''उनकी (टिपण्णी करने वालों की) राय कोई मायने नहीं रखती, क्योंकि वे सऊदी नहीं हैं।'' एक अन्य यूज़र ने लिखा कि, ''हमारी ज़मीन, हमारा देश, हमारे नियम। सिर्फ इसलिए कि आपके पूर्वजों ने इस्लाम अपना लिया और आपको अरबी नाम दिया, इसका मतलब यह नहीं है कि आपकी इसमें कोई राय है। आप अप्रासंगिक हैं और हम एक जैसे नहीं हैं।'' यानी सऊदी वालों का स्पष्ट कहना था कि, वे कन्वर्ट हुए मुस्लिम्स को अपने जैसा नहीं मानते और उनकी राय कोई मायने नहीं रखती। 

जब एक यूज़र ने लिखा कि, 'तुम सऊदी अरब में पैदा हुए हो, इसका मतलब ये नहीं कि वो तुम्हारी जमीन हो गई, ये सभी मुस्लिमों के लिए पवित्र भूमि है।' इसका जवाब देते हुए सऊदी अरब के उसी यूज़र ने लिखा कि ''नहीं यह नहीं है। आप केवल देश के नियमों और शर्तों का पालन करने और इसके समझौते के अधीन होने के बाद एक मुस्लिम के रूप में पवित्र भूमि का दौरा कर सकते हैं।''

बता दें कि, सोशल मीडिया पर कुछ कट्टरपंथी, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को ''काफिर खातून" कहकर संबोधित कर रहे हैं जिसका अर्थ है काफिर महिला। एक अन्य यूज़र ने 'खातून' शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई, क्योंकि यह सम्मानजनक था और इसके स्थान पर 'काफिर औरत' शब्द का इस्तेमाल करने को कहा। ये घृणित अकाउंट अधिकतर भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के यूज़र्स के पाए गए हैं।

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