सिंधु सीमा पर खालसा फौज ने ली किसानों की सुरक्षा की जिम्मेदारी
सिंधु सीमा पर खालसा फौज ने ली किसानों की सुरक्षा की जिम्मेदारी
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नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ राजधानी की सड़कों पर डटे किसानों और सरकार के बीच बीते शनिवार को पांचवें दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन वह बातचीत भी बिना नतीजे के सामने आई। काफी लंबी बातचीत हुई लेकिन उसके बाद तय सिर्फ यही हुआ कि अगले दौर की बातचीत 9 दिसंबर को होगी। ऐसे में आपको याद ही होगा कि बीते शुक्रवार देर रात सिंधु सीमा पर निहंग सिख या "खालसा फौज" ने किसानों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि 'वे लड़ाई करने नहीं बल्कि शांति सुनिश्चित करने आए थे।'

जी दरअसल पुलिस बैरिकेड्स के ठीक बगल में सोनीपत-दिल्ली राजमार्ग के एक किनारे पर, किसानों के चारों ओर एक चक्र बनाए नीले कपड़ों और बड़ी पगड़ी पहने खालसा फौज के लोग तलवारों से लैस हैं। वहीं उनका कहना है कि, 'उन्होंने बैरिकेड्स पर स्थिति बना ली है। शांतिपूर्ण ढंग से विरोध प्रदर्शन के लिए सुरक्षा कर्मियों और किसानों के बीच दीवार बना ली है।' इसी के साथ उन्होंने कहा, '50-60 घोड़ों के साथ कैंपिंग के लिए ये लोग कुडुका, रोपड़ और पंजाब के अन्य क्षेत्रों से ट्रकों में सिंघू सीमा तक लाए गए। उनकी उपस्थिति सुरक्षा और सुरक्षा का प्रतीक है।'

वहीं आगे उन्होंने यह भी कहा, 'हमने अब उन बैरिकेड्स पर अपना डेरा जमा लिया है, जहां पुलिस बल तैनात है। यदि उन्हें शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों तक पहुंचना है, तो उन्हें हमारे माध्यम से जाना होगा।' इस दौरान समूह के एक सदस्य गुरदीप सिंह ने कहा कि 'निहंगों का अर्थ है सुरक्षा और संरक्षा। हम अपने लोगों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए यहां हैं और हमें इससे कोई नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते है। हम किसी भी तरह से हिंसा का समर्थन नहीं करते हैं।'

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