मृत महिला के परिजन ने की भावनात्मक अपील, आप भी जानिए मामला
मृत महिला के परिजन ने की भावनात्मक अपील, आप भी जानिए मामला
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नरसिंहपुर से संदीप राजपूत की रिपोर्ट 

नरसिंहपुर।  लक्ष्मी नारायण हॉस्पिटल में मृत हुई महिला के शोकाकुल परिवार की भावनात्मक अपील परिवार का कहना है की हमारे परिवार से पूछिए उस समय हमारे दिल पर क्या बीती है जब 4 साल का मासूम आंख में आंसू लिए हर जगह अपनी मां को ढूंढता रहता है।  सरकारी और प्राइवेट अस्पताल के इलाज में कितना अंतर होता है, इसका अंदाजा इस खबर को पढ़कर बखूबी लगाया जा सकता है। यदि मरीज को वहां से रेफर किया जाता है तो वैसे अमूमन जिला अस्पताल से हमेशा सीरियस इमरजेंसी होने पर मरीज को रेफर करने की प्रथा है ऐसी स्थिति में मरीज के परिजनों के सामने सिर्फ दो रास्ते रह जाते हैं। 

ऐसी स्थिति में मरीज के परिजन सोच में पड़ जाते हैं की जबलपुर पहुंचते-पहुंचते इलाज होने में कहीं देर ना हो जाए। आखिर में वे हमारे नरसिंहपुर के प्राइवेट अस्पताल का रास्ता चुनते हैं। और वहां इलाज तो मिलता है और उसकी पूरी कीमत भी चुकानी पड़ती है कई बार यह खर्च मरीज की हैसियत से ज्यादा और इतना मनमाना होता है कि विवाद की स्थिति भी निर्मित हो जाती है इसके बावजूद प्रशासन या सरकार के पास ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिससे मनमर्जी की रेट पर लगाम कसी जा सके इसका फायदा प्राइवेट अस्पताल उठा रहे हैं।

हाल ही में आई नेशनल सैंपल सर्वे की रिपोर्ट भी बताती है, की सरकारी अस्पतालों के मुकाबले प्राइवेट अस्पताल औसतन 4 गुना ज्यादा खर्च पर इलाज देते हैं। मनमानी के ये है कारण कारणउसकी पूरी कीमत भी चुकानी होती है।कई बार यह खर्च मरीज की हैसियत से ज्यादा और इतना मनमाना होता है कि विवाद भी होते हैं। प्रशासन या सरकार के पास ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिससे मनमर्जी के रेट पर लगाम कसी जा सके। इसका फायदा प्राइवेट अस्पताल उठा रहे हैं। हाल ही में नगर की प्राइवेट हॉस्पिटल लक्ष्मी नारायण पर मुर्दा मरीज का इलाज कर लाखों रुपए  ऐंठने इल्जाम लगा है गोटेगांव निवासी मृत महिला के परिजनों के द्वारा थाना प्रभारी को कलेक्टर और मुख्यमंत्री के नाम इस मामले को लेकर ज्ञापन सौंपा गया है।  सरकारी अस्पताल के मुकाबले प्राइवेट अस्पताल औसतन चार गुना ज्यादा खर्च पर इलाज देते हैं।

विशेषज्ञों के मुताबिक रेट आउट आफ कंट्रोल होने के दो प्रमुख कारण हैं। पहला सरकारी अस्पतालों की संख्या का कम होना। जो हैं, वे पहले से बोझ से दबे हैं। दूसरा गंभीर बीमारियों का इलाज सिर्फ मेडिकल कालेज व प्राइवेट अस्पतालों में उपलब्ध है। यदि सरकार चाहे तो ऐसे इलाज सिविल अस्पताल में भी शुरू हो सकते हैं। यदि किसी को कार्डियो की इमरजेंसी हो तो जिला अस्पताल में भर्ती कराने में ही पसीने छूट जाते है, जबकि प्राइवेट में आते ही तुरंत इलाज शुरू हो जाता है।

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