Nov 24 2015 08:02 PM
नई दिल्ली: भारतीय सुरक्षा एजेंसिया बढ़ती प्रोद्योगिकी के कारण काफी परेशान है। जानकार इस पर चिंता व्यक्त करते हुए बताते है की 2014 तक स्थिति काफी सामान्य थी। वॉट्सऐप जैसी ऐप्लीकेशन्स डाटा का इनक्रिप्शन नहीं करती थी लेकिन अब लगभग सभी ऐप्लीकेशन्स एंड-टू-एंड इनक्रिप्शन का प्रयोग करने लगी है।
साइबर विशेषज्ञो का भी मानना है कि इनक्रिप्शन को तोड़ कर बीच मे ही मैसेज की जाँच मुश्किल होती है। खासकर जब करोड़ो मैसेज हर दिन भेजे जा रहे हो। एंड-टू-एंड इनक्रिप्शन मे भेजा हुआ मैसेज जानकारी छुपा लेता है और बाहरी व्यक्ति इसे पढ़ नहीं सकता। यहा मैसेज को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी भी होता है ताकि अन्य कंपनी इसे न देखे। सुरक्षा एजेंसी ऐसे मामलो मे टेक्निकल साझेदारी कर सुलझाती है। कंपनिया अपनी जानकारी सुरक्षा एजेंसियों को देकर अपना काम पूरा करती है।
फिलहाल भारत के पास ईमेल, एमएमएस और फोन का डाटा सुलभ तरह से उपलब्ध है। पर नई टेक्नालजी के हर दिन अपडेट होने के कारण सुरक्षा एजेंसियों को हर दिन जद्दोजहद करनी पड़ती है।
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