तत्काल टिकिट एजेंटों को मिला पर आपको नहीं, क्यों
तत्काल टिकिट एजेंटों को मिला पर आपको नहीं, क्यों
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लोग तत्काल टिकिट के लिए इंतज़ार करते रहते रहते हैं और कुछ एजेंट को आसानी से मिल जाते हैं, यह हेरा-फेरी बहुत समय से चली आ रही थी. सीबीआई ने इसका पर्दाफाश कर दिया.

ई-टिकटिंग के नाम पर चल रहे इस फर्जीवाड़े की जांच कर सीबीआई ने मंगलवार रात दिल्ली में अपने पुराने 35 वर्षीय कर्मचारी अजय गर्ग को पकड़ा जो IRCTC के लिए काम कर चुका है. वह अनिल कुमार गुप्ता नाम के टिकट एजेंट की मदद से इस रैकेट को चला रहा था.  यह खेल ये सब जौनपुर से चल रहा था.  दरअसल अजय ने IRCTC वेबसाइट में काम करने के दौरान इसकी कमजोरियों के बारे में पता लगाया. फिर उसने नियो नाम का एक सॉफ्टवेयर डेवलप किया, जो टिकट बुकिंग के दौरान IRCTC वेबसाइट को हैंग करके प्रोसेस स्लो कर देता था. इसके बाद वह अपने क्लाइंट्स के लिए एक ही बार में 1000 तक टिकट बुक कर देता था.

इससे आम जनता को टिकट नहीं मिल पा रहा था और वही टिकट एजेंट ज्यादा पैसे लेकर उन्हें मुहैया करा रहे थे. बुधवार को साकेत की एक विशेष अदालत में गर्ग को पेश किया गया, जहां से उसे पांच दिनों की सीबीआई हिरासत में भेजा गया है. सीबीआई के प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने बताया था कि “गुप्ता को उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले स्थित उसके घर से मंगलवार को गिरफ्तार किया गया और उसे ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली लाया गया.”

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