नई दिल्ली : एक बेटी जो करीब 41 वर्षों पहले अपनी मां से बिछड़ गई थी अब जाकर फिर से अपनी मां से मिल पाई है। नीलाक्षी एलिजाबेथ जाॅरंडल का जन्म भारत में ही हुआ था जिसके बाद एक स्वीडिश दंपती ने 1976 में उसे गोद ले लिया था। अब नीलाक्षी 44 वर्षों की आयु की हो गई हैं। उसने अपनी जैविक मां का पता लगाने का निश्चय किया जिसमें उसकी मदद की एक एनजीओ ने। ‘अगेंस्ट चाइल्ड ट्रैफिक’ नामक इस एनजीओ की अंजलि पंवार ने बताया कि ‘शनिवार को नीलाक्षी अपनी जैविक मां से यवतमाल के सरकारी अस्पताल में भावुक क्षणों में मिलीं।’
हालांकि इससे पहले भी वह अपनी मां से थोड़ी देर के लिये मिली थी। नीलाक्षी के पिता अब जीवित नहीं हैं। वे कृषि मजदूरी करते थे। नीलाक्षी का जन्म पुणे के पास केडगांव में पं. राममाबाई मुक्ति मिशन के आश्रय गृह में हुआ था। जब नीलाक्षी का जन्म हुआ उसी साल अर्थात 1973 में उनके पिता ने खुदकुशी करली थी। मां ने उन्हें वहीं छोड़कर पुनर्विवाह कर लिया था।
पुनविर्वाह के बाद उनकी मां को एक बेटा व बेटी हैं। नीलाक्षी का अपनी मां को तलाशने का मिशन 1990 से ही चल रहा था। उन्होंने कई बार भारत की यात्राएं कीं। पंवार ने बताया कि वे दोनों ही थैलेसीमिया से पीड़ित हैं। नीलाक्षी अपनी मां के परिजनों को उनके इलाज में पूरा सहयोग करना चाहती हैं।
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