नई दिल्ली: निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर शीर्ष अदालत आज दोपहर 12.30 बजे सुनवाई करेगी. उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि, 'निचली अदालत ने सभी को एक साथ दोषी करार दिया था, दोषियों का अपराध बेहद क्रूर और जघन्य था, समाज पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा. किन्तु संविधान की धारा 21 के तहत कुछ कानून उपचार उनके भी हैं जिनका उन्हें भरपूर मौका मिला. '
उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया था कि 'मुझे ये कहने में कोई गुरेज नहीं है, कि दोषियों ने काफी समय लिया, 2017 में याचिका खारिज होने के बाद भी डेथ वारंट जारी नहीं किया गया, किसी ने जहमत नहीं उठाई.' उच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया था कि दोषी मुकेश को अन्य दोषियों से अलग नहीं किया जा सकता, पवन गुप्ता ने अभी तक दया याचिका दायर नहीं की है. इसके साथ ही अदालत ने एक सप्ताह के भीतर दोषी किसी कानूनी उपचारों का इस्तेमाल करने के लिए हा था.
अदालत ने पटियाला हाउस कोर्ट के 31 जनवरी के फैसले को सही ठहराया था. इससे पहले सेशन कोर्ट दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए दो बार डेथ वारंट जारी कर चुकी है, किन्तु दोषियों के वकील के क़ानूनी दांव पेंच के चलते दोनों बार फांसी टल गई है.
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