भारत की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने संसद को सलाह दी है कि वह सांसदों और विधायकों को अयोग्य घोषित करने के मामले में सदन के स्पीकर की शक्तियों पर दोबारा विचार करे. मणिपुर के वन मंत्री टी श्यामकुमार की अयोग्यता के मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश दिया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा के स्पीकर को कहा कि वो अयोग्यता पर चार सप्ताह में निर्णय करें. अगर स्पीकर चार हफ्ते में फैसला नहीं लेते हैं तो याचिकाकर्ता फिर सुप्रीम कोर्ट आ सकते हैं.
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कि कांग्रेस विधायक फजुर्रहीम और के. मेघचंद्र ने मंत्री टी श्यामकुमार को अयोग्य ठहराए जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि स्पीकर एक राजनीतिक दल का सदस्य भी होता है. फिलहाल स्पीकर के पास सांसदों और विधायकों को अयोग्य घोषित करने का अधिकार है. ऐसे में स्पीकर का निर्णय पक्षपात रहित नहीं हो सकता है.
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इसके अलावा नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले बजट में 4,700 करोड़ रुपये अल्पसंख्यकों की कल्याणकारी योजनाओं के लिए दिए थे.अब इसे हिंदुओं के साथ भेदभाव बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. यूपी के 5 लोगों ने यह याचिका दाखिल की है. केंद्र सरकार 4 सप्ताह में इस याचिका पर जारी नोटिस का जवाब देगी.
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