मुंबई। मुंबई उच्च न्यायालय ने बहुचर्चित बिलकिस बानो प्रकरण में निर्णय दिया है। जिसमें निचली अदालत के फैसले को कायम रखा गया है। न्यायालय ने लगभग 11 आरोपियों की अपील को नकार दिया, साथ ही न्यायालय ने कहा है कि सीबीआई की वह अपील जिसमें कुछ आरोपियों को फांसी की सजा देने की मांग की गई थी वह सही नहीं है। इस अपील को नकार दिया गया है।
न्यायालय ने आरोपियों की उम्रकैद की सजा को यथावत रखा हुआ है। न्यायालय ने आरोपियों के तौर पर जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राधेश्याम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहनिया, प्रदीप मोरधिया, बाकाभाई वोहनिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट, रमेश चंदाना को लेकर अपना फैसला सुनाया।
गौरतलब है कि 3 मार्च 2002 को गोधरा उपद्रव के बाद लगभग 17 लोगों द्वारा बिलकिस के परिजन पर अहमदाबाद के रंधिकपुर में हमला कर दिया गया था। हमले में 8 लोगा मारे गए थे। आरोपियों के तौर पर प्रारंभिक रूप से 6 लोग सामने आए थे और ये लोग फरार थे। बिलकिस बानो केवल 19 वर्ष की थी और 5 माह की गर्भवती थी।
यही नहीं बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप हुआ था। घटना के बाद बिलकिस की तीन वर्ष की पुत्री और दो दिन के नवजात बच्चे की तक मौत हो गई थी। तीन आरोपियों जसवंत नाई, गोविंद नाई और शैलेश भट्ट को मौत की सजा सुनाने हेतु वर्ष 2011 में सीबीआई हाईकोर्ट पहुॅंचा था।
आधार कार्ड को सिम से फरवरी तक जोड़ें, वर्ना हो जाएगी बंद
I Love You कहकर करती थी शारीरिक शोषण , राधे मां