शिवरात्रि से होगी भगोरिया की शानदार शुरुआत
शिवरात्रि से होगी भगोरिया की शानदार शुरुआत
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धार-झाबुआ आदिवासी बाहुल्य जिलों में आदिवासी लोक संस्कृति का पर्व भगोरिया की भव्य शुरूआत धार जिले में शिवरात्रि के पूर्व से होगी। इस दिन तिरला विकासखंड के सुल्तानपुर पंचायत के ग्राम गंगा महादेव में शिवरात्रि पर आयोजित कार्यक्रम के अन्तर्गत भगोरिया के मेले का आयोजन किया जाएगा। इसी के साथ भगोरिया की भव्य शुरूआत हो जाएगी। इस बार भगोरिया के मेलों को  हाईटेक स्वरूप में देखने का अवसर भी मिलेगा।

महाशिवरात्रि को बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा-महादेव मंदिर परिसर में प्राकृतिक गुफाओं के बीच स्थित भगवान शंकर के मंदिर में दर्शनों के लिए पहुंचेंगे। वहां पहाड़ों से बहकर गिर रहा झरना लोंगों के आकर्षण का केन्द्र बनेगा। इस दौरान गंगा महादेव मंदिर परिसर में एक भव्य भगोरिया मेले की शुरूआत भी की जाएगी। इस मेले में आसपास के अनेक  ग्रामों से आदिवासियों के दल मांदल व ढोल लेकर अपनी कला का प्रदर्शन करने आएंगे। 

ग्राम पंचायत द्वारा मांदल दलों को पुरुस्कृत  भी किया जाएगा। वैसे आदिवासी अंचलों में भगोरिया की शुरूआत होली के एक सप्ताह पूर्व आयोजित होने वाले हाट-बाजार से होती है, किन्तु धार जिले के  तिरला विकासखण्ड में हाट-बाजार के आयोजन न होने के कारण गंगा महादेव मंदिर परिसर में शिवरात्रि से ही भगोरिया के मेले की शानदार शुरूआत हो जाती है। 

आदिवासी अंचल में इस बार इंटरनेट एवं एनड्राईड फोन का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में आदिवासी युवा-युवती ने एनड्राईड फोन से भगोरिया के मेलों के चित्र एवं वीडियों अपने मित्रों को भेज सकेगे। इससे दुरस्थ लोगों को भी आदिवासी लोक  संस्कृति के पर्व भगोरिया का सीधा आनंद उठाने का लाभ मिल पाएगा। 

धार जिले में मुख्य रूप से भगोरिया का आयोजन डही, कुक्षी, बाग, टाण्डा, उमरबन क्षेत्र में प्रभावशाली रूप से होता है। इसके अलावा पर्यटन स्थल माण्डव में भगोरिया पर्व पर अनेक  आदिवासी पर्यटक भी भाग लेकर आदिवासी लोक संस्कृति से सीधे रूबरू होते है। इसी के साथ नालछा विकासखण्ड मुख्यालय पर भी भगोरिया का मेला आयोजित किया जाता है। 

भगोरिया के मेले में भाग लेने के लिए काम काज के लिए बाहर गए आदिवासियों में भी अच्छा-खासा आकर्षण देखा जाता है। काम की तलाश में मध्यप्रदेश के अन्य नगरों में गए तथा गुजरात गए आदिवासियों के दल भगोरिया में भाग लेने के लिए वापस लौटने लगते है। इस बार भी फसलों की स्थिति बेहतर होने के कारण भगोरिया के मेले में भीड़ अधिक  होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। मेले में आदिवासी दल गले में मांदल  लटगाए, हाथों में बांसुरी थामे भाग लेते है।

दिनभर मौज-मस्ती एवं नृत्य का कार्यक्रम चलता रहता है। भगोरिया के मेले में झूले-चकरी, खानपान की सामग्री, सौदर्य प्रसाधन व शीतल पेय की दुकानें भी प्रमुखता से लगाई जाती है। यहां आदिवासी वर्ग के लोग काफी खरीदी भी करते है। होली 13 मार्च के पूर्व एक  सप्ताह तक जिले के विभिन्न ग्रामों में हाट बाजार के दिन भगोरिया के मेले लगना शुरू हो जाएंगे। भगोरिया को लेकर आदिवासी वर्ग में खासा उत्साह देखा जा रहा है।

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