जमानत के लिए दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा शरजील इमाम, असम को भारत से काटने की रच रहा था साजिश
जमानत के लिए दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा शरजील इमाम, असम को भारत से काटने की रच रहा था साजिश
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नई दिल्ली: दिल्ली हिंसा मामले में आरोपी जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के पूर्व छात्र शरजील इमाम ने अपने ऊपर लगे राजद्रोह के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय में अंतरिम जमानत याचिका दाखिल की है। शरजील की अंतरिम जमानत याचिका पर उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब माँगा है। दिल्ली उच्च न्यायालय अब इस मामले में 25 अगस्त को सुनवाई करेगी। 

दरअसल, शरजील इमाम ने दिल्ली हाई कोर्ट में लोअर कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। दिल्ली की लोअर कोर्ट ने राजद्रोह मामले में शरजील के खिलाफ जारी ट्रायल पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। कड़कड़डूमा कोर्ट के इस फैसले को शरजील ने दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। इमाम ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के आधार पर अंतरिम जमानत देने के लिए कहा था, जिसने देशद्रोह के सभी मामलों की सुनवाई पर रोक लगा दी थी।  वहीं, शरजील इमाम पर हमले के आरोप के मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने जेल में शरजील पर हमले के CCTV फुटेज देखा। वीडियो में कुछ कैदी शरजील के साथ धक्का-मुक्की कर रहे थे। कोर्ट ने अब तिहाड़ जेल के अधीक्षक को एक अगस्त को अदालत में पेश होने और मारपीट के आरोप पर जवाब देने के लिए कहा है। 

अब कड़कड़डूमा कोर्ट 1 अगस्त को इस मामले को सुनेगी। उस दिन तिहाड़ के जेल अधीक्षक और उप अधीक्षक हाजिर होकर अपनी बात कहेंगे और अदालत के सवालों के जवाब देंगे। दरअसल, शरजील इमाम ने हाल ही में आरोप लगाते हुए कहा था कि तिहाड़ जेल के सहायक अधीक्षक ने 8 से 10 लोगों के साथ 30 जून को सेल में उनके साथ मारपीट की थी। शरजील का आरोप था कि जेल के सहायक अधीक्षक ने उन्हें आतंकवादी और देशद्रोही भी कहा था। शरजील की दलील थी कि आरोप साबित हुए बिना उसे ऐसे शब्द कहना गैर कानूनी है। 

क्या था शरजील इमाम का बयान:-

वैसे तो शरजील इमाम का भाषण काफी लंबा है, लेकिन हम यहाँ उस हिस्से को पाठकों के समक्ष रख रहे हैं, जिसमे भड़काऊ और देश की अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाली बातें कही गई हैं। CAA विरोधी कार्यक्रम में शरजील ने कहा था कि 'अब समय आ गया है कि हम गैर-मुस्लिमों से बोलें कि यदि वो हमारे हमदर्द हैं, तो हमारी शर्तों पर आकर खड़े हों। अगर वो हमारी शर्तों पर खड़े नहीं होते तो वो हमारे हमदर्द नहीं हैं। अगर 5 लाख लोग हमारे पास ऑर्गेनाइज्ड हों तो हम नॉर्थ-ईस्ट को हिंदुस्तान से परमानेंटली काट कर अलग कर सकते हैं। परमानेंटली नहीं तो कम से कम एक-आध महीने के लिए असम को हिंदुस्तान से काट ही सकते हैं। इतना मवाद डालो पटरियों पर, रोड पर कि उनको हटाने में एक महीना लगे। जाना हो तो जाएँ एयरफोर्स से।' इसका वीडियो आप You tube पर भी देख सकते हैं। 

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