आसमान से बरसेगा अमृत
आसमान से बरसेगा अमृत
Share:

इंदौर। प्रतिवर्ष आप सभी को एक विशेष दिन का बेसब्री से इंतज़ार रहता होगा। इस दिन शाम के समय आपके घरों में और अन्य क्षेत्रों में दूध वितरण और खीर वितरण का कार्यक्रम होता है। आसमान के नीचे चांद की रोशनी में दूध और खीर का पात्र रखा जाता है, और फिर कुछ देर बाद आप इसका पान करते हैं। कितना आनन्ददायक होता है यह सब। आपको इस दिन बेहद आश्चर्य होता होगा कि, आखिर चांद की रोशनी में रखी खीर, या दूध किस तरह से इतना गुणकारी होता है।

इस पेय को पीकर लगता है जैसे आप ने अमृत पान ही कर लिया हो। इस बार लोग गुरूवार को यह दिन मनाऐंगे। आश्विन मास की पूर्णिमा को यह दिन मनाया जाता है। इस दिन विविध आयोजन होते हैं। लोगों के लिए स्वास्थ्य शिविरोें का आयोजन होता है। माना जाता है कि, इस दिन चांद की रोशनी से अमृत के समान गुणकारी तत्व निकलकर धरती पर पहुंचते हैं। जिसके कारण दूध या खीर से भरे पात्र को चांद की रोशनी में रखा जाता है। इस दिन प्रमुखतौर पर माता सरस्वती की आराधना की जाती है। मान्यता है कि विभिन्न कलाओं की उत्पत्ति शरद पूर्णिमा पर ही हुई है।

फिर संगीत हो, कला हो या फिर शिल्प हो, लोगों द्वारा शरद पूर्णिमा पर देवी आराधना करना उपयुक्त माना जाता है। पूजन हेतु रात में ही चोलों को दूध में भिगोकर शरद पूर्णिमा की रात रखा जाता है। सवेरे उसका प्रसाद ग्रहण किया जाता है।

इस दिन सरस्वती देवी की आराधना करके सफेद पुष्प चढाने से सफलता मिलती है। भाग्य का उदय होता है। यदि ऊं ऐं ऊं मंत्र का जाप किया जाए तो यह बेहतर होता है। मान्यता है कि, माता सरस्वती की आराधना से संपदा, कला, कीर्ति, वाणी सम्मोहन, लीला, ईश्वरीय कृपा, शुभ कर्म आदि की प्राप्ति होती है।

लोगों को विद्याा की प्राप्ति के साथ इंद्रिय नियंत्रण प्राप्त होता है। व्यक्ति का अहंकार नष्ट हो जाता है और वह विनम्र हो जाता है। यदि आप यह विचार करते हैं कि आखिर चंद्रमा का प्रकाश, आपके कार्यों को प्रभावित नहीं कर सकता है, वह तो आपसे बहुत दूर हैं तो आप कुछ चूक कर रहे हैं। दरअसल चंद्रमा की 16 कलाऐं अथवा अवस्थाऐं होती हैं। जिनमें अमृत, मनदा, विचार, पुष्प, सौंदर्य, पुष्टि य स्वस्थता, तुष्टिय इच्छापूर्ति, रुति, विद्या, शाशनी, तेज, चंद्रिक, शांति, एकांति, कीर्ति, ज्योत्सना, प्रकाश, धन, प्रीति, प्रेम, अंगदा, स्थायित्व, पूर्ण, पूर्णता अर्थात कर्मशीलता, और पूर्णामृत, सुख, शामिल हैं। एक वैज्ञानिक तथ्य है कि मानव के शरीर में करीब 70 प्रतिशत जल का समावेश है, जिन पंच तत्वों से उसका शरीर बना है उसमें जल शामिल है, धरती के भी लगभग 70 प्रतिशत भाग पर जल मौजूद है।

कई बार आपने अनुभव किया होगा कि अमावस्या और पूर्णिमा के मौके पर समुद्र में ज्वार और भाटा आता है। जो कि चंद्रमा की कलाओं के कारण होता है। जिस तरह से समुद्र में मौजूद जलराशि को चंद्रमा के घटने और बढ़ने की क्रियाऐं प्रभावित करती हैं उसी तरह से चंद्रमा हमारे शरीर और मन को प्रभावित करता है। ज्योतिषीय मान्यताओं में चंद्रमा को मन का कारक कहा जाता है। ऐसे में व्यक्ति के मन पर चंद्रमा का व्यापक असर होता है।

शरद पूर्णिमा के माध्यम से चंद्रमा से निकलने वाले अमृत समान गुणकारी तत्व को प्राप्त करने का पर्व है शरद पूर्णिमा। शरद पूर्णिमा का पर्व 5 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इसे मराठी भाषा में कोजागीरी पौर्णिमा और बंगाली में कोजागरी लखी पूजन कहा जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ है कौन जाग रहा है। माना जाता है कि द्वापर युग में भगवान ने श्रीकृष्ण अवतार लिया था।

माता लक्ष्मी राधारूप में अवतरित हुई थीं। दोनों की रासलीलाओं का प्रारंभ भी शरद पूर्णिमा से ही माना जाता है। मान्यता है कि, श्वेत चांदनी में लक्ष्मी माता पृथ्वी पर घूमती हैं। ऐसे में श्रद्धालु यह पर्व मनाकर पूजन करते हैं।

इस मौके पर रात्रि राजगरण होता है। नेपाल काली मंदिर के पुजारी हाराधन बनर्जी का कहना है कि, रात्रि जागरण कर आराधन करने वाले को समृद्धि और धन - धान्य से संपन्नता मिलती है। इस दिन वातावरण में शाम और सुबह के समय कुछ ठंडक घुली होती है। ऐसे में दूध में केसर का उपयोग करना लाभकारी होता है।

5 अक्टूबर के दिन इन राशि वालो को नहीं करना चाहिए ऐसा काम

माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए आज से ही करें ये शुभ कार्य

मंगल प्रदोष के दिन करे शिवजी के ये उपाय

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -