नई दिल्ली : यह खबर जानकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे कि हिंदुस्तान में आज भी जन्म लेने वाले लड़के व लड़कियों पर लोगो के नजरिये दो फाड़ है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एक ताजा रिपोर्ट में यह चौंकाने वाली बात पता चली है कि भारत में बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाएं सेक्स सिलेक्शन ड्रग्स (एसएसडी) यानी कोख में ही शिशु का लिंग निर्धारित करने वाली दवाएं ले रही हैं। तथा यह सब इसलिए किया जा रहा है क्योंकि महिलाओ को बेटी के बजाए बेटे की चाहत ज्यादा है.
इस कारण से बड़ी संख्या में शिशु गर्भवती महिलाओ की कोख में या प्रसव के दौरान मर रहे हैं। इस मामले में अत्यधिक प्रकाश डालते हुए सुतापा बंदोपाध्याय नेओगी जो कि इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ- दिल्ली, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया है उन्होंने हिंदुस्तान में गर्भवती महिलाओ के मृत प्रसव पर एसएसडी के जुड़े जोखिमों का अध्ययन किया।
सुतापा बंदोपाध्याय नेओगी ने अपने इस अध्यन के चलते कहा है कि 'हमने प्रिमैच्योरिटी गर्भ (37 सप्ताह से कम), मृत प्रसव, प्रसव के दौरान जटिलता और एसएसडी के सेवन में गहरा संबंध पाया है।' इस दौरान हमे मृत बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं में एसएसडी लेने की आशंका 2.6 गुना पाई गई. रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि कई भ्रूण इसलिए मर जाते हैं क्योंकि मांएं बेटा होने की संभावना को बढ़ाने के लिए सेक्शन सिलेक्शन ड्रग्स (एसएसडी) लेती हैं।