Mar 30 2016 10:12 AM
नई दिल्ली : पालतू हाथियों पर होने वाले अत्याचार को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख दिखाते हुए कहा कि 1972 के वन्य जीवन संरक्षण क़ानून का पालन होना चाहिए. इस मामले में दिशा निर्देश जारी किए जाएंगे. 6 संस्थाओं और कुछ व्यक्तियों द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर कोर्ट ने केरल सरकार को नोटिस जारी कर 3 हफ्ते में जवाब मांगा है. अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी.
कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या 1972 के वन्य जीवन संरक्ष्ण क़ानून के तहत बने एक्ट के बाद क्या कोई हाथी पाल सकता है? यदि हाँ तो उसकी शर्तें क्या हैं? हाथियों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी किस विभाग की रहेगी.
याचिका में बताया गया कि धार्मिक संस्थाओं और निजी मिल्कियत में रखे गए हाथियों की संख्या 3 हजार से अधिक है जो वन विभाग, चिड़ियाघर और सर्कस में रहने वाले हाथियों से बहुत अधिक है. इन हाथियों पर होने वाला अत्याचार का मामला वन्य जीवन संरक्षण क़ानून और पशुओं की क्रूरता की रोकथाम के दायरे में आता है.
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