कभी मात्र 165 रुपये कमाते थे सयाजी शिंदे, ऐसे बने कामयाब एक्टर
कभी मात्र 165 रुपये कमाते थे सयाजी शिंदे, ऐसे बने कामयाब एक्टर
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मनोरंजन जगत के मशहूर अभिनेता सयाजी शिंदे का आज जन्मदिन है। मगर सयाजी शिंदे का फिल्मी सफर और निजी जीवन बहुत कठिनाइयों भरा रहा। लेकिन कठिनाइयों के उस समंदर को पार कर जिस प्रकार सयाजी ने आउडसाइडर होने के बाद भी फिल्मों की दुनिया में पहचान बनाई, वह बेहद इंस्पायरिंग है। एक चौकीदार की नौकरी करने वाला मामूली इंसान कैसे फिल्मी दुनिया में चमका, वह वाकई एक मिसाल है।

सयाजी शिंदे का जन्म महाराष्ट्र के दूरस्थ इलाके वेलेकाम्ठी में एक किसान परिवार में हुआ था। गांव जंगल एवं पहाड़ों से घिरा हुआ था। सयाजी शिंदे ने एक इंटरव्यू में कहा था कि रोजी-रोटी के लिए किस प्रकार उनके मां-बाप और अन्य गांववालों को प्रातः से लेकर दिन छुपने तक खेतों में खपना होता। मगर परिवार वालों ने सयाजी शिंदे की पढ़ाई पर प्रभाव नहीं पढ़ने दिया। सयाजी शिंदे ने मराठी में बीए किया। पढ़ाई के साथ-साथ ही सयाजी शिंदे वॉचमैन की नौकरी करने लगे। सयाजी शिंदे की पहली नौकरी एक वॉचमैन यानी चौकीदार की थी, जो महाराष्ट्र गवर्मेंट इरिगेशन डिपार्टमेंट में लगी थी। सयाजी शिंदे पढ़ाई भी करते तथा फिर चौकदार की नौकरी भी करते। इसके लिए उन्हें महीने के केवल 165 रुपये मिलते थे। कुछ वक़्त पश्चात् सयाजी शिंदे को वहीं पर एक क्लर्क की नौकरी मिल गई तथा वह उसमें रम गए। सयाजी शिंदे को ड्रामा का भी शौक था, इसलिए शौकिया तौर पर नौकरी के साथ ड्रामा भी करना आरम्भ कर दिया। मगर सयाजी शिंदे ने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन अभिनय करेंगे।

बाद में सयाजी शिंदे एक कोऑपरेटिव बैक में नौकरी करने लगे। बैंक में सयाजी शिंदे ने 17 वर्षों तक काम किया। मगर काम के साथ ड्रामा भी चालू रहा। यही शौक सयाजी शिंदे को बाद में मुंबई ले आया। सयाजी शिंदे मुंबई नगरी में अभिनेता बनने के हसीन सपने लेकर आए थे। वह कोई हीरो या कोई विलेन नहीं बनना चाहते थे। सयाजी शिंदे ने कुछ महीने पहले अपने एक इंटरव्यू में बोला था, 'जब मैं इंडस्ट्री में आया था तो मैं कोई ऐसा सोचकर नहीं आया था कि एक हीरो बनूंगा। मैंने कभी इमेज बनाने के बारे में नहीं सोचा था। मैं बस एक कलाकार बनना चाहता था। अभी भी करोड़ों लोग हैं, जो मुझसे अधिक टैलेंटेड हैं। लेकिन उन्हें मौका नहीं प्राप्त हुआ। मेरे लिए हर फिल्म में हर किरदार आवश्यक है। यदि मैं किसी फिल्म में विलेन बनता हूं तो चाहता हूं कि लोग विलेन ही मानें।' सयाजी शिंदे का मुंबई आने का बाद लंबे वक़्त तक संघर्ष चला। जहां शुरुआत में उन्हें एक नाटक एवं उनकी एक स्टेज परफॉर्मेंस से निकाल दिया गया था, वहीं बाद में एक फिल्म से भी बाहर कर दिया गया। सयाजी शिंदे ने अपने करियर में 300 से भी अधिक फिल्में कीं, मगर रिजेक्शन की टीस आज भी सालती है। सयाजी शिंदे ने 'शूल', 'खिलाड़ी 420', 'कुरुक्षेत्र', 'कर्ज', 'रोड', 'अंश', 'वास्तुशास्त्र', 'ये मेरा इंडिया' एवं 'सरकार राज' जैसी कई हिंदी फिल्में कीं। वर्ष 2021 में वह सलमान खान स्टारर 'अंतिम: द फाइनल ट्रुथ' में हेड कॉन्स्टेबल के किरदार में दिखाई दिए थे। सयाजी शिंदे ने तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम और भोजपुरी भाषा की ढेरों फिल्मों में काम किया। चूंकि सयाजी शिंदे किसान परिवार से रहे हैं, इसलिए वह हमेशा से पेड़ लगाने पर जोर देते आए हैं। वह अब तक 25 हजार से भी अधिक वृक्ष लगा चुके हैं। वह एक फिल्म प्रोड्यूसर भी हैं। सयाजी शिंदे हाल ही चिरंजीवी की फिल्म 'गॉडफादर' में दिखाई दिए।

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