विवादित सतलुज सुरंग परियोजना हुई रद्द
विवादित सतलुज सुरंग परियोजना हुई रद्द
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शिमला : हिमाचल प्रदेश में सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएनएल) ने अपनी विवादित सतलुज सुरंग परियोजना को रद्द कर दिया है. यह कदम स्थानीय लोगों, पर्यावरण विशेषज्ञों के विरोध और विश्व बैंक की तरफ से धन न मिलने की वजह से उठाया गया है. एक अधिकारी ने बताया कि स्थानीय लोगों ने इस परियोजना के पर्यावरण पर पड़ने वाले बुरे असर का मुद्दा उठाया था. परियोजना के लिए विश्व बैंक को 65 करोड़ डॉलर देना था लेकिन उसने अपने हाथ खींच लिए. इसके बाद इसे रद्द करने का फैसला किया गया. 38 किलोमीटर लंबी यह सुरंग सतलुज नदी पर बनने वाली 610 मेगावाट की जल विद्युत परियोजना का हिस्सा थी.

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एसजेवीएनएल ने बिजली बनाने के लिए अब जलाशय आधारित परियोजना पर काम करने का फैसला किया है. इस पर 115 करोड़ डालर खर्च होगा. दस्तावेज से पता चलता है कि कंपनी ने 27 जुलाई को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को परियोजना के लिए नए सिरे से अर्जी दी है. यह पर्यावरण से संबद्ध लाइसेंस हासिल करने की दिशा में उठाया गया पहला कदम है. नई डिजाइन के तहत कंपनी तीन जलाशय बनाएगी जिनसे टरबाइन तक पानी पहुंचाया जाएगा.

पहले यही पानी सुरंग के जरिए पहुंचाया जाना था. सुरंग परियोजना का विरोध कर रही सतलुज बचाओ संघर्ष समिति, परियोजना से प्रभावित होने वाले लोगों और पर्यावरण विशेषज्ञों ने परियोजना के रद्द होने को अपनी जीत बताया है. समिति में कुल्लू, मनाली और मंडी के गांवों के निवासी शामिल हैं. उनका कहना है कि इससे अब सतलुज की धारा के मूल रूप को बचाए रखने में मदद मिलेगी.परियोजना से प्रभावित इलाके के रहने वाले श्याम सिंह चौहान ने कहा, "अगर यह सुरंग बन गई होती तो यह एशिया का सबसे बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं में से एक होती. कम से कम 50 किलोमीटर तक सतलुज नदी का नामोनिशान मिट जाता." (आईएएनएस)

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