संत केशवानन्द भारती का निधन, 'मौलिक अधिकारों' के लिए सुप्रीम कोर्ट में लड़ी थी लड़ाई
संत केशवानन्द भारती का निधन, 'मौलिक अधिकारों' के लिए सुप्रीम कोर्ट में लड़ी थी लड़ाई
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नई दिल्ली: शीर्ष अदालत में संविधान के बुनियादी ढांचे को अक्षुण्ण रखने को लेकर याचिका दाखिल करने वाले याचिकाकर्ता संत केशवानन्द भारती का आज सुबह देहांत हो गया है. वे केरल के कासागोड़ जिले के निवासी थे. वहीं पर बने उनके आश्रम में उनका देहांत हुआ है. वे 79 वर्ष के थे. बता दें कि केशवानन्द भारती ने केरल के भूमिहीन किसानों को भूमि वितरित करने के लिए राज्य सरकार की लाए गए भूमि सुधार कानूनों को चुनौती देने के लिए शीर्ष अदालत याचिका दाखिल की थी. 

संत केशवानंद की याचिका में केरल भूमि सुधार कानून 1963 को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किए जाने से जुड़े 29वें संविधान संशोधन को चुनौती दी गई थी. केशवानंद ने इस कानून को मौलिक अधिकारों का हनन करार देते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की थी. शीर्ष अदालत ने इस मामले की सुनवाई के लिए 13 सदस्यीय संविधान पीठ का गठन किया था. जिसने 68 दिनों तक केस की सुनवाई की थी. इसी सुनवाई के दौरान 'बुनियादी ढांचा सिद्धांत' निकलकर सामने आया. केशवानन्द भारती की तरफ से विख्यात वकील नानी पालकीवाला ने बहस की थी.

इस चर्चित केस में 24 अप्रैल 1973 को शीर्ष अदालत ने 7:6 के बहुमत के आधार पर फैसला दिया था. हालांकि केशवानंद भारती को मुकदमे में निजी राहत नहीं मिली थी. लेकिन इसके कारण एक महत्वपूर्ण संवैधानिक सिद्धांत प्रतिपादित किया गया, जिसके तहत संशोधन के संसद के अधिकारों को सीमित किया जा सका.

 

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