नई दिल्ली: यह सच है कि इन दिनों ज़िन्दगी की रफ्तार बहुत तेज हो गई है. लेकिन यह कड़वा सच भी जान लें कि भागमभाग वाली रोजमर्रा की दिनचर्या में जल्दबाजी या चालक की लापरवाही से होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में हमारे देश में रोजाना लगभग 400 लोग मारे जाते हैं. औसतन हर घंटे 55 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. यह हम नहीं सड़क परिवहन मंत्रालय की उस रिपोर्ट में लिखा है जिसमें 2016 की सड़क दुर्घटनाओं का उल्लेख किया गया है. हालाँकि 2015 की तुलना में पिछले साल सड़क दुर्घटनाओं में चार फीसदी की कमी आई है. जबकि मृतक संख्या बढ़ी है.
गौरतलब है कि इस रिपोर्ट को जारी करते हुए रिपोर्ट जारी सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस बात पर संतोष जताया कि सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आई है. 2017 की पहली छमाही के आंकड़ों में लगभग चार फीसदी दुर्घटनाएं कम हुई हैं.
बता दें कि सड़क परिवहन मंत्रालय ने जो आंकड़े जारी किए हैं उसके अनुसार 2016 में चार लाख 80 हजार 652 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें एक लाख 50 हजार 785 लोग मारे गए और चार लाख 94 हजार से अधिक लोग घायल हुए. जबकि 2015 में लगभग एक लाख 46 हजार लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत हो गई.
सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि इन सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक मृतक दुपहिया सवार हैं, क्योंकि करीब 34.8 प्रतिशत लोग दुपहिया वाहन पर ही सवार थे, जबकि 17.9 फीसदी लोग कार, टैक्सी, वैन या हल्के मोटर वाहन में सवार थे. वहीं 11.2 प्रतिशत लोग ट्रक में और 10.5 प्रतिशत लोग पैदल चलने वाले थे.
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