अपनी दमदार निर्देशन के बल पर रितुपर्णो घोष ने भारतीय सिनेमा उद्योग मे धूमकेतु का दर्जा प्राप्त किया है. उन्हें पूरी दुनिया एक ऐसे फिल्म निर्देशक के तौर पर जानती है जिसने भारतीय सिने जगत को समृद्ध करने में अहम भूमिका निभाई. आत्मविश्वास से भरे इस व्यक्ति ने अपने जीवन से जुड़ी कड़वी सच्चाई को सबके सामने कबूला है वही साल 2013 में 30 मई को इस दुनिया मे उन्होने अंतिम सांस ली.
श्रीदेवी को लेकर हुए ट्वीट पर अर्जुन ने दिया ट्रोलर को जवाब
भारतीय सिनेमा जगत के उन चुनिंदा लोगों में घोष को शुमार किया जाता है जिन्होंने खुलकर अपनी समलैंगिकता को सामने रखा.उन्होंने भारतीय सिनेमा की चोखेर बाली फिल्म का निर्देशन किया जबकि चित्रांगधा में उन्होंने जेंडर के मसले को उठाकर पूरे देश को संदेश दिया कि आप चाहे जैसे हों खुद को स्वीकार करें.वो अपनी पसंद और पहनावे के तरीके को सबके सामने खुलकर रखने में विश्वास रखते थे.
अमिताभ समेत तीनों खान को अक्षय ने दी जोरदार पटखनी, दिए सबसे अधिक 100 करोड़ के विज्ञापन
उन्होंने 12 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार सिर्फ दो दशकों के भीतर जीते.बंगाली फिल्म अरेक्ति प्रेमेर गोल्पो में उन्होंने एक समलैंगिक निर्देशक का किरदार निभाया. IPC की धारा 377 को अवैध ठहराने के बाद समलैंगिकता पर बनने वाली यह पहली फिल्म थी.उनका मानना था कि समलैंगिक अक्सर अकेले हो जाते हैं और कोई उनकी देखभाल नहीं करता, ऐेसे में उन्हें स्वीकार किया जाना जरूरी है.
जब बॉलीवुड के 'सिंघम' को मारने आए थे 1 हजार लोग, पिता वीरू ने ऐसे बचाई थी जान
वरुण-नताशा की शादी पर बोले डेविड धवन, फिल्म की शूटिंग के बाद...
सलमान पर भड़कीं थी यह महिला सिंगर, ट्रोलर बोला-घर में घुसकर जान से मार दूंगा...'