'राम मंदिर आंदोलन सभी के साथ न्याय के लिए...', प्राण प्रतिष्ठा से पहले बोले नितिन गडकरी
'राम मंदिर आंदोलन सभी के साथ न्याय के लिए...', प्राण प्रतिष्ठा से पहले बोले नितिन गडकरी
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नई दिल्ली: 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है। वही इसको लेकर देश में भी बहुत उत्साह है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार को राम मंदिर आंदोलन को याद करते हुए कहा कि ये केवल एक मंदिर के लिए नहीं बल्कि सभी के साथ न्याय सुनिश्चित करने के लिए जागरूकता अभियान था। नितिन गडकरी ने इस बात पर जोर दिया कि हिंदुत्व का इतिहास हमारे देश का इतिहास है। भाजपा नेता नागपुर में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में लोगों को संबोधित कर रहे थे। गडकरी ने कहा कि बीजेपी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी की 'रथ यात्रा' ने अयोध्या राम मंदिर मुद्दे को देश में सबसे आगे ला दिया। उन्होंने कहा कि VHP के अशोक सिंघल, वरिष्ठ बीजेपी नेता उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, कई साधुओं एवं शंकराचार्यों ने इसके लिए संघर्ष किया। 

गडकरी ने कहा, राम जन्मभूमि आंदोलन केवल एक मंदिर के बारे में नहीं था। उन्होंने कहा, "ये प्रयास भारत के इतिहास, संस्कृति और विरासत को गौरव और सम्मान वापस दिलाने के लिए थे।" गडकरी ने कहा कि जहां प्रभु श्री  राम का जन्म हुआ था, वहां राम मंदिर की उपस्थिति देश में रहने वाले सभी लोगों के लिए गौरव एवं स्वाभिमान का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि ये मुद्दा सांप्रदायिकता या जाति संबंधी नहीं था, यह राष्ट्रीय था। नितिन गडकरी ने कहा कि लोग अब खुश हैं कि प्रभु श्री राम के जन्मस्थान पर एक भव्य राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है तथा हम सभी को 22 जनवरी को दर्शन करने का अवसर प्राप्त होगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा, "अतीत में राजनीतिक लाभ के लिए 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द की गलत व्याख्या की गई थी, मगर हमारा समाज शुरु से ही 'धर्मनिरपेक्ष' है। धर्मनिर्पेक्षता का अर्थ है 'सर्व धर्म सत्भाव' यानी सभी धर्मों के लिए समान सम्मान।''   

नितिन गडकरी ने कहा कि अयोध्या राम मंदिर आंदोलन सभी के साथ न्याय सुनिश्चित करने के लिए जन जागरूकता अभियान था तथा यह नई तुष्टीकरण नीति के खिलाफ था, जिसे हमारे देश के गौरव, संस्कृति एवं इतिहास को किनारे रखकर लाया गया था। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने सर्वोच्च न्यायालय के 2019 के अयोध्या फैसले के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, "उस वक़्त हम उम्मीद कर रहे थे कि इतिहास, सच्चाई एवं सबूतों के आधार पर न्याय दिया जाना चाहिए एवं सर्वोच्च न्यायालय ने प्रभु राम चंद्र के अनुयायियों को वह न्याय दिया।" नितिन गडकरी ने कहा, "RSS के संस्थापक डॉ। केशव बलिराम हेडगेवार कहा करते थे कि भारत में सभी शासक हिंदू होने के बाद भी, कुछ संख्या में विदेशियों ने हम पर इसलिए शासन किया क्योंकि हमारे बीच एकता की कमी थी।" उन्होंने कहा, भारतीयों को जाति से ऊपर उठकर खुद को हिंदू संस्कृति, हिंदू इतिहास एवं हिंदू जीवन शैली के प्रति समर्पित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंदू भारतीय संस्कृति है एवं भारतीय संस्कृति हिंदुत्व का पर्याय है। हिंदुत्व संकीर्ण नहीं है, संप्रदायवादी नहीं है एवं जातिवादी नहीं है। हिंदू सभी को शामिल करता है, राष्ट्र का गौरव है और हिंदुत्व का इतिहास राष्ट्र का इतिहास है। 

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