जयपुर: राजस्थान में कांग्रेस कार्यकर्ताओं और विधायकों में बढ़ते असंतोष से निपटने के लिए राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने नई तरकीब खोजी है. ये तरकीब है राज्य में विधान परिषद के गठन की. सीएम अशोक गहलोत ने विधान परिषद के गठन के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने का फैसला लिया है.
बुधवार रात हुई मंत्रिमंडल की बैठक के बाद रात 10 बजे राजस्थान सरकार ने घोषणा की है कि कैबिनेट ने राज्य में विधान परिषद के गठन को हरी झंडी दे दी है. इसलिए अब विधानसभा गठन की फाइनल स्वीकृति के लिए एक प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा. बता दें कि अगर राजस्थान राज्य के लिए विधान परिषद को हरी झंडी मिलती है तो विधान परिषद और विधान सभा के सदस्यों की को मिलाकर राज्य में अतिरिक्त 15 मंत्री बनाए जा सकते हैं. मगर यह आसान नहीं है. इससे पहले भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने तीनों कार्यकाल में इस तरह के प्रस्ताव भेज चुके हैं. वसुंधरा राजे ने भी साल 2008 में विधान परिषद के गठन का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था.
साल 2008 में तत्कालीन वसुंधरा सरकार ने जब विधान परिषद के गठन का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था, तब केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय ने इस मामले पर संसद की स्टैंडिंग कमेटी के दिए गए सुझावों के बारे में राज्य सरकार से राय मांगी थी. मगर नौ सालों तक राज्य सरकार ने इस मामले में राय नहीं भेजी. लेकिन अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ऐलान किया है कि दोबारा से राय भी भेजी जाएगी.
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