प्राइवेट ट्रेनों के संचालन पर उठे सवाल, यात्रियों की बढ़ सकती है समस्या
प्राइवेट ट्रेनों के संचालन पर उठे सवाल, यात्रियों की बढ़ सकती है समस्या
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जब से प्राइवेट ट्रेनों के प्रारंभ होने की बात सामने आई है. तब से रेलवे को लेकर कई सवाल खड़े हो गए है. रेलवे के इस कदम के बाद हर कोई आश्चर्य में है. वही,  सवालों का जवाब देते हुए रेलवे ने स्पष्टकरण दिया है, कि ये अतिरिक्त ट्रेनें होंगी. इससे हर कोई लाभान्वित होगा. दरअसल लगभग हर मुद्दे पर सरकार को घेर रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रेलवे में निजी रेलगाड़ी चलाने का विरोध करते हुए कहा था कि इससे गरीबों की जीवन रेखा प्रभावित होने वाली है.

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अपने बयान में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने बताया कि इसे प्रारंभ होने में तीन वर्ष का समय लगने वाला है. हमारा प्रयास होगा की 2023 तक निजी ट्रेन पटरी पर दौड़ने लगे. साथ ही, उन्होने कहा कि प्राइवेट ट्रेन किस तरह परफॉर्म कर रही हैं, उसके लिए एक स्पेशल मैकेनिज्म तैयार किया जाएगा और परफॉर्मेंस रिव्यू होगा. उन्‍होंने कहा कि सरकार ने 5 फीसदी ट्रेनों के निजीकरण का फैसला किया है. यह पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत होगा. बाकी 95 फीसदी ट्रेनें रेलवे की तरफ से ही चलाई जाएंगी. यह देश के उन यात्रियों के लिए तोहफा होगी, जिन्हें प्रतीक्षा सूची लंबी होने की वजह से यात्रा करने में मुश्किलें पेश आती हैं.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि बीते साल रेलवे ने यात्रियों के माध्यम से जबरदस्त कमाई की है. भारत में बीते साल 2019 में 8.4 बिलियन लोगों ने रेलवे का सफर तय किया है. लेकिन पांच करोड़ यात्रियों को रेलवे की लंबी प्रतीक्षा सूची के चलते यात्रा के लिए टिकट नहीं मिल पाया है. ट्रेनों में ठुंसकर यात्रा करने वाले गरीबों को इससे राहत मिलेगी. चलाई जाने वाली प्राइवेट 151 ट्रेनें भारतीय रेलवे की ट्रेनों के अतिरिक्त होंगी. इन ट्रेनों का संचालन उन्हीं रुटों पर किया जा रहा है, जिन पर यात्रियों का बहुत बोझ है. उन्होंने कहा कि ज्यादातर निजी ट्रेनें मेक इन इंडिया के तहत भारत में ही बनेंगी. किराया एसी बस और हवाई किराया को ध्यान में रख कर तय किया जाएगा.

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