टैंकभेदी बमों की आपूर्ति में लगा झटका, चीन से मुकाबले में भारतीय सेना को होगा नुकसान
टैंकभेदी बमों की आपूर्ति में लगा झटका, चीन से मुकाबले में भारतीय सेना को होगा नुकसान
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लद्दाख में चीन के साथ आपसी तनातनी बढ़ती जा रही है. चीन भी सीमा क्षेत्र में अपनी ताकत दिखाने के लिए हथियारों की तादाद बढ़ा रहे है. लेकिन चीन से गतिरोध की स्थिति में एक बुरी खबर है. भारतीय सेना को टैंकभेदी बमों की आपूर्ति बाधित हो गई है. दरअसल कोरोना महामारी के कारण बमों के परीक्षण के लिए जाने वाली तकनीकी टीम को ओडिशा के फायरिंग रेंज प्रबंधन ने प्रवेश की अनुमति नहीं दी है. जबलपुर स्थित आयुध निर्माणी कंपनी खमरिया (ओएफके) को सेना को 11500 गोलों (बम) की आपूर्ति करनी है. इसमें तीन हजार गोलों की खेप बनकर तैयार है. परीक्षण के बाद ही इसे सेना को आपूर्ति करने की अनुमति दी जाती है.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इन गोलों का परीक्षण मार्च में किया जाने था. लेकिन कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन की वजह से हर महत्पूर्ण काम टल गया. टलते टलते परीक्षण की अवधि में तीन महीने की देरी हो गई. वही, अब अनलॉक होने के बाद भी ओडिशा की बालासोर फायरिंग रेंज से अनुमति में टीम के 14 दिन के क्वारंटाइन की बाध्यता ने पेच फंसा दिया है. मामले का संज्ञान रक्षा मंत्रालय ने ले लिया है. परीक्षण जल्द पूरा कराकर सेना को गोलों की आपूर्ति कराने के प्रयास तेज किए गए हैं. गौरतलब है कि भारत-रूस के ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (टीओटी) करार के बाद सेना के लिए अचूक 125एमएम एफएसएपीडीएस (टैंकभेदी बम) की पहली खेप 130 करोड़ रपये की लागत से तैयार कराई गई है.

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ओएफके ने बम बनाने की कार्ययोजना बनाई है. इस प्रोजेक्ट को काफी बड़ा माना जा रहा है. क्योकि इस योजना में वर्ष 2019-20 में 11500 आधुनिक टैंकभेदी बम का निर्माण करने का लक्ष्य तय किया था. वही, यह उत्पादन कार्य पूरा करने में कच्चा माल (रॉ-मटेरियल) की कमी का सामना भी करना पड़ा, इसलिए इस निर्माणी में 2019-20 में सिर्फ तीन हजार टैंकभेदी बमों का उत्पादन हो सका. निर्माणी प्रशासन ने रक्षा मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार फरवरी-मार्च में टैंकभेदी बमों की खेप परीक्षण के लिए बालासोर फायरिंग रेंज भेज दी. ओएफके प्रशासन चाहता है कि भारत-रूस के टीओटी करार के बाद उत्पादित नए टैंकभेदी बमों का निर्माणी की टीम की मौजूदगी में फायरिंग रेंज में परीक्षण किया जाए. सैन्य प्रशासन का कहना है कि कोरोना संक्रमण के चलते किसी सिविलियन को फायरिंग रेंज में प्रवेश की अनुमति नहीं देंगे. इस वजह से टैंकभेदी बमों का परीक्षण बीते तीन माह से लटका है.

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