इस डॉक्यूमेंट्री के लिए प्रकाश झा को मिला था पहला राष्ट्रीय पुरस्कार
इस डॉक्यूमेंट्री के लिए प्रकाश झा को मिला था पहला राष्ट्रीय पुरस्कार
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हिंदी सिनेमा जगत में 70 के दशक की बात करें तो जाने-माने निर्देशक चांद अभिनेता प्राण को लेकर एक फिल्म बना रहे थे. इस फिल्म में नवीन निश्चल और रेखा भी थे. फिल्म में बिंदू का रोल भी अहम था. इस फिल्म की कव्वाली ‘राज की बात कह दूं तो जाने महफिल में फिर क्या हो’ बहुत ही लोकप्रिय हुई. अपने करियर में चांद ने करीब दो दर्जन फिल्मों का निर्देशन किया लेकिन धर्मा उनकी सबसे लोकप्रिय और कामयाब फिल्मों में रही. फिल्म की शूटिंग के दौरान एक 19-20 साल का लड़का भी सेट पर मौजूद रहता था. उसे फिल्मों का शौक तो था लेकिन अभी आने वाली जिंदगी का रास्ता तय नहीं था.

वो पुणे के प्रतिष्ठित फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में पढ़ाई तो कर रहा था लेकिन आगे क्या करना है इसको लेकर मन में अभी बहुत उथल-पुथल सी चल रही थी. उस रोज फिल्म की शूटिंग देखने में उसका दिल लग गया. उसने देखा कि कैसे पर्दे पर दिखने वाली फिल्म के पीछे लोग मेहनत करते हैं. निर्देशक चांद जब उससे मिले तो उन्होंने उस लड़के को अपना असिस्टेंट भी रख लिया. उसी रोज उस ‘यंगस्टर’ को अपनी जिंदगी का रास्ता मिला. उसने तय कर लिया कि अब वो भी फिल्में ही बनाएगा. उस लड़के को आज फिल्म इंडस्ट्री प्रकाश झा के नाम से जानती है. जिनका आज यानि 27 फरवरी को जन्मदिन है.

बिहार के बेतिया जिले में पैदा हुए प्रकाश झा ब्राह्मण परिवार से आते हैं. बचपन में दूर-दूर तक इस बात का इल्म नहीं था कि बड़े होकर फिल्में बनाएंगे या फिल्म इंडस्ट्री में अपना नाम कमाएंगे. पढ़ाई-लिखाई सैनिक स्कूल में हुई. स्कूल में जिस तरह बच्चों को आर्ट, क्राफ्ट, थिएटर थोड़ा-थोड़ा बताया जाता था वैसे ही उन्होंने भी सीखा. एक ख्वाब जरूर था कि आर्मी में जाना है. लेकिन ये ख्वाब पूरा नहीं हो पाया. आगे की पढ़ाई करने जब दिल्ली विश्वविद्यालय पहुंचे तो एक नई दुनिया सामने थी. जिसमें कला, पेंटिंग, किताबें, थिएटर सब कुछ था. मंडी हाउस में नाटक देखा करते थे. इसी माहौल ने प्रकाश झा के दिमाग में फिल्मकार बनने की चाहत पैदा की. उन्हें समझ आया कि नियमित पढ़ाई के अलावा ये भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है. जैसे ही आने वाले कल की तस्वीर साफ हुई उन्होंने उसके लिए सही रास्ता बनाना शुरू किया. बॉम्बे में डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकिंग से प्रकाश झा का करियर शुरू हुआ. गोवा की एक डॉक्यूमेंट्री बनाई. सुप्रसिद्ध नृत्यांगना डॉ. सोनल मानसिंह पर भी एक डॉक्यूमेंट्री बनाई. जिसके लिए प्रकाश झा को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया. सोनल मानसिंह पर डॉक्यूमेंट्री बनाने तक प्रकाश झा फिल्म इंडस्ट्री में एक बड़ा नाम बन गए थे.

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