कोरोना वायरस (Coronavirus) के कारण भारत (India) ने मार्च से ही अपनी अंतरराष्ट्रीय सीमाएं बंद कर दी थी. ऐसे में भारत में फंसे कई लोग अपने देश वापस नहीं जा पाए. देश वापस न जाने वालों में कई विदेशी खिलाड़ी और कोच भी शामिल थे . इन्हीं में शामिल हैं घाना (Ghana) के 24 साल के फुटबॉलर रैंडी जुआन मुलर (Randy Juan Muller) जो पिछले 73 दिनों से एक पार्क में अपना ठिकाना बनाकर रह रहे थे आखिरकार सरकार उनकी मदद के लिए आगे आई है.
मुंबई एयरपोर्ट के सामने पार्क को बनाया घर: मुलर केरल की प्रचलित सेवन-ए-साइड (Seven-Side) सर्किट में खेलते हैं. वह घर वापसी के लिए मुंबई (Mumbai) पहुंचे लेकिन वहां एयरपोर्ट पर जाकर उन्हें पता चला कि अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट बंद हो चुकी हैं. मुलर के पास केवल 1000 रुपए थे और वह समझ नहीं पा रहे थे कि क्या करें. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक सीआईएसएफ (CISF) और मुंबई पुलिस की मदद से उन्होंने एयरपोर्ट के बाहर पार्क को अपना घर बना लिया जहां वह पिछले 73 दिनों से रह रहे थे. हालांकि दो दिन पहले महाराष्ट्र के मंत्री आदित्य ठाकरे (Aditya Thackrey) और घाना एंबसी की मदद से उन्हें सनबर्न होटल में पहुंचा दिया गया है और उनसे वादा किया गया है कि वह जल्द ही घर होंगे.
पुलिसवालों से दोस्ती करके बिताया समयमुलर ने बताया कि पहले दिन जब पुलिस वालों ने उन्हें एयरपोर्ट से बाहर निकाला तो वह समझ नहीं पा रहे थे कि क्या करें. न वह केरल जा सकते थे क्योंकि सभी ट्रेनें बंद दी न ही अपने घर. ऐसे में उन्होंने पार्क में रहना तय किया जहां पुलिस आसानी से उन्हें देख न पाएं. उन्हें लग रहा था कि वह इस स्थिति में मर जाएंगे लेकिन यही पार्क अगले 72 दिनों के लिए उनका घर बन गया. धीरे-धीरे उनकी पुलिसवालों से दोस्ती हो गई जिन्होंने मुलर की मदद की. मुलर ने बताया कि उनका फोन खराब हो गया था जिसके चलते वह घर वालों से बात नहीं कर पा रहे थे.
घर वालों को मर गए हैं मुलर: पुलिस वालों की मदद से उन्होंने घरवालों से बात की. घरवालों ने मुलर को बताया कि उन्हें लग रहा था कि मर गए हैं. पुलिसवालों के साथ ही कई लोग उन्हें खाने का सामान दे जाते थे जिससे उनका गुजारा चलता था.वक्त बिताने के लिए मुलर पुलिसवालों के साथ हिंदी फिल्में देखते थे, उनसे खेल के बारे में बात करते थे और अपने घर के बारे में बताते थे. पुलिसवालों ने ही उन्हें नया फोन भी दिलाया. हालांकि हर रोज एक जैसे चेहरे और चीजे देखकर मुलर को लगता था कि वह पागल हो गए हैं. हालांकि उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और उन्हें उम्मीद थी कि वह घर जरूर लौटेंगे. महाराष्ट्र सरकार की ओर से उन्हें भरोसा दिलाया गया है कि वह जल्दी ही अपने देश वापस जाएंगे.
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