राजस्थान में राजनीतिक संकट निरंतर गहराता जा रहा है. सीएमआर और विधानसभा से निकलकर उच्च न्यायालय और फिर सर्वोच्च न्यायालय पहुंचे इस केस में अब कोर्ट में याचिकाएं लगाने का दौर तेज हो गया है. समन और याचिका के मामले में हाईकोर्ट से इतर सर्वोच्च न्यायालय पहुंचे विधानसभा अध्यक्ष के बाद, अब पायलट गुट ने उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय दोनों में अलग-अलग अर्जी पेश की है.
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पायलट खेमे ने एक ओर सर्वोच्च न्यायालय में राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी की याचिका पर कैविएट दायर कर कहा है, कि उनका पक्ष सुने बिना कोई निर्णय न किया जाए. साथ ही, दूसरी ओर पायलट गुट ने राजस्थान हाईकोर्ट में भी अर्जी लगाकर समन और याचिका में केन्द्र सरकार को पक्षकार बनाने की गुजारिश की है. अर्जी में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने संविधान की दसवीं अनुसूची के पैरा-2-ए की संवैधानिकता को चुनौती दी है. इसलिए केंद्रीय गवर्नमेंट को इसमें पार्टी बनाया जाए.
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विदित हो कि राजनीतिक संकट में व्हिप उल्लंघन के केस में विधानसभा अध्यक्ष की ओर से सचिन पायलट समेत 19 बागी एमएलए को दिये गए समन जारी किया था. जिसके बाद पायलट खेमा हाईकोर्ट पहुंचा था. इस केस में सुनवाई पूरी हो चुकी है. हाईकोर्ट ने इस केस में अपना फैसला सुरक्षित रखा है. हाईकोर्ट 24 जुलाई को अपना फैसला सुनायेगा. इस बीच, बुधवार को इस मसले को लेकर विधानसभा अध्यक्ष ने सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दाखिल कर दी. डॉ. जोशी ने अपनी याचिका में बोला कि न्यायपालिका से कभी भी यह अपेक्षा नहीं की गयी थी, कि वह ऐसे केस में दखअंदाजी देगी. जिससे वजह से संवैधानिक गतिरोध पैदा हो गया है. इस केस में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है.
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