80 में से मात्र 11 सीट ! यूपी में अखिलेश यादव के ऑफर से तिलमिलाई कांग्रेस, 23 सीटों पर लड़ने की जताई थी इच्छा
80 में से मात्र 11 सीट ! यूपी में अखिलेश यादव के ऑफर से तिलमिलाई कांग्रेस, 23 सीटों पर लड़ने की जताई थी इच्छा
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लखनऊ: पश्चिम बंगाल और पंजाब में जहां INDIA गठबंधन की मुख्य पार्टी कांग्रेस को साथी दल झटका दे चुके हैं। वहीं अब देश पर सबसे अधिक समय तक शासन करने वाली कांग्रेस के लिए अब उत्तर प्रदेश से भी बुरी खबर आ रही है। दरअसल, बीते दिनों यूपी में INDIA ब्लॉक के तहत समाजवादी पार्टी (सपा) सपा और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक दल (RLD) ने गठबंधन किया था। RLD यूपी में 7 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। अब सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि कांग्रेस के साथ 11 सीटों पर डील फिक्स हो गई है।

अखिलेश यादव ने अपने एक्स हैंडल से पोस्ट करते हुए लिखा है कि, कांग्रेस के साथ 11 मज़बूत सीटों से हमारे सौहार्दपूर्ण गठबंधन की अच्छी शुरुआत हो रही है। ये सिलसिला जीत के समीकरण के साथ और भी आगे बढ़ेगा। ‘इंडिया’ की टीम और ‘पीडीए’ की रणनीति इतिहास बदल देगी।' उल्लेखनीय है कि, बीते दिनों सूत्रों के हवाले से जानकारी सामने आई थी कि यूपी में कांग्रेस 80 में से 23 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा रखती है। अब अखिलेश ने स्पष्ट कर दिया है कि, सपा ने कांग्रेस को 11 सीटें ही ऑफर की हैं। हालाँकि, यदि कांग्रेस अखिलेश यादव को और सीटों पर जिताऊ प्रत्याशियों के बारे में बताती है तो यह सीटें बढ़ भी सकती हैं, लेकिन अभी तो सपा ने कांग्रेस को यूपी में 11 सीटें ही दी हैं। वहीं, कांग्रेस प्रदेश नेतृत्व ने अखिलेश यादव के ऑफर पर नाराजगी प्रकट की है। यूपी के शीर्ष कांग्रेस नेतृत्व ने कहा है कि यह अखिलेश यादव का एकतरफा निर्णय है, जिससे कांग्रेस सहमत नहीं है। 

उल्लेखनीय है कि 2019 के आम चुनाव में उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस के बीच कोई औपचारिक गठबंधन नहीं हुआ था, फिर भी अखिलेश यादव ने रायबरेली और अमेठी सीटों पर अपना कोई प्रत्याशी नहीं उतारा था, इन दो सीटों से कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी ने ताल ठोंकी थी। 2019 में कांग्रेस ने राज्य की 80 में से 67 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, मगर एक ही सीट जीत सकी थी। पार्टी को मात्र 6।4 फीसदी वोट मिले थे और वह 3 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी। तब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी अपनी परंपरागत सीट अमेठी से भी चुनाव हार गए थे, जहाँ से गांधी परिवार के सदस्य हमेशा जीतते रहे थे। हालाँकि, राहुल को शायद अपनी हार का पहले से अंदेशा था, इसलिए उन्होंने केरल की मुस्लिम बहुल सीट वायनाड से भी चुनाव लड़ा था। जहाँ मुस्लिम लीग ने कांग्रेस को समर्थन दे दिया और राहुल चुनाव जीतकर संसद पहुँच पाए। अब यूपी में भी कांग्रेस, सपा से कुछ मुस्लिम बहुल सीटें मांग सकती है, लेकिन मुस्लिम-यादव (MY factor) सपा का भी वोट बैंक है, ऐसे में वो क्यों अपने हाथों में आ रही सीटें कांग्रेस को देना चाहेगी ? कुल मिलकर यूपी की 80 सीटों का बंटवारा करना विपक्षी दलों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। 

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