इस्तीफ़ा मंजूर होने के बाद आया निशा बांगरे का बड़ा बयान, कहा-
इस्तीफ़ा मंजूर होने के बाद आया निशा बांगरे का बड़ा बयान, कहा- "मैं चुनाव तो लड़ूंगी ही..."
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भोपाल: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए अगले महीने मतदान होगा जिसमें अब एक माह से कम का वक़्त रह गया है। इसी दौरान प्रशासन ने डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। इस्तीफा मंजूर होने के उपरांत पूर्व आईएएस अधिकारी ने चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। निशा आमला सीट से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती हैं। कहा जा रहा था कि कांग्रेस उन्हें उम्मीदवार बना सकती है। हालांकि उनके इस्तीफे को मंजूर करने में देरी होने के उपरांत पार्टी ने मनोज मालवे को चुनावी रण में उतारा है। बांगरे घर के उद्घाटन में शामिल होने के लिए छुट्टी नहीं मिलने पर इस्तीफा देने के उपरांत चर्चाओं में आ गई थी।

निशा बांगरे ने बुधवार को इस बारें में कहा है कि वह लोकतंत्र का भाग बनना चाहती हैं। उन्होंने कहा, 'मैं चुनाव तो लड़ूंगी ही। मैंने हमेशा से कहा है कि मैं लोकतंत्र का हिस्सा बनना चाहती हूं। विधायिका का हिस्सा बनना भी उसका एक पार्ट है। इसलिए मैं निश्चित तौर पर चुनाव तो लड़ूंगी ही। मैं नामांकन पत्र भरूंगी।' यब पूछे जाने पर की इस्तीफा देते समय कुछ और वजह दी थी। क्या आपने तब ही चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया था, इसपर बांगरे ने कहा, 'मैंने जिस समय इस्तीफा देते समय कारण लिखकर दिए थे। मुझे मेरे मकान के उद्घाटन में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई। जब मैंने पिछले तीन-चार महीने में कारण पता किए तो पता चला कि यह सब राजनैतिक कारणों से हो रहा है। मैं हमेशा से चाहती हूं कि इस देश में अच्छी व्यवस्था बनी रहे। व्यवस्था बनती है अधिकारियों से, जनप्रतिनिधियों से। अधिकारी बनकर मैंने देख लिया। राजनैतिक मंशा अगर अच्छी हो तो अधिकारी भी अच्छा काम कर सकते हैं। इसलिए मैंने फैसला लिया है कि मैं विधायिका में जाऊंगी। जो अन्याय मेरे साथ हुआ है, उस अन्याय के खिलाफ मैं लड़ाई लड़ूंगी ताकि किसी और के साथ ऐसा अन्याय न हो।'

लोग हमेशा से मुझे जनप्रतिनिधि बनाना चाहते थे: निशा ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा है कि, 'जहां मेरे मकान का उद्घाटन होने वाला था वहां सर्वधर्म प्रार्थना होने वाली थी। चूंकि मैं उस क्षेत्र (आमला) में पिछले पांच साल से हूं, मेरी पोस्टिंग 2018 से 2021 के बीच वहां रही है। मैं लोगों के बीच रही हूं। लोगों का स्नेह मेरे साथ रहा है। वहीं के लोगों ने मुझे तब भी एक ऑप्शन के तौर पर देखा था। इसलिए मेरा ट्रांसफर बार-बार जगह-जगह हो रहा था। क्योंकि वहां के माननीय को परेशानी हो रही थी। लोगों ने उसी समय से मुझे जनप्रतिनिधि के तौर पर चाहा था। मैं उस निर्णय पर नहीं पहुंच पा रही थी क्योंकि मेरा कोई पारिवारिक बैकग्राउंड नहीं है। मैं धीरे-धीरे सीख रही हूं। कभी किसी राजनीतिक दल का हिस्सा नहीं रही।'

 

कमलनाथ से करेंगी मुलाकात: खबरों का कहना है कि 'जब मेरा संघर्ष चल रहा था तो कांग्रेस ने मेरे साथ खड़े होने की बात कही। जब मुझे हिरासत में लिया गया तो कांग्रेस नेता मेरे साथ थे। उन्होंने मुझे आश्वासन दिया था कि वे मेरे इस्तीफे का इंतजार करने वाले है। इसलिए, मैं आज कमल नाथ जी से मिलना चाहूंगी और उनसे उनका रुख पूछना चाहूंगी क्योंकि अब मैंने इस्तीफा दे दिया है और अब मैं लोगों के लिए लड़ने के लिए स्वतंत्र हूं जनता की लड़ाई लड़ने के लिए। लेकिन आपने जो वादा किया था उसके बारे में मैं जानना चाह रही हूं।' जब उनसे पूछा गया कि अगर कांग्रेस से टिकट नहीं मिला तो क्या करेंगी। इसपर पूर्व अधिकारी ने बोला है कि, 'हम तो जनता के लिए काम करेंगे। अगर जनता कहेगी कि आप निर्दलीय लड़िए या इस पार्टी से लड़िए तो मुझे कोई परेशानी नहीं है। जैसा जनता कहेगी, जो जनता का आदेश होगा उसका मैं पालन करूंगी।'

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