अस्पताल लाई गई निर्भया को देख दहल गए थे डॉक्टर, आँखों से निकल आए थे आंसू
अस्पताल लाई गई निर्भया को देख दहल गए थे डॉक्टर, आँखों से निकल आए थे आंसू
Share:

आज से तकरीबन सात साल पहले देश को दहला देने वाले निर्भया सामूहिक दुष्कर्म मामले के दोषियों को फांसी पर लटकाने का दिन और समय तय कर दिया गया है. पटियाला हाउस कोर्ट ने 7 जनवरी मंगलवार को इस मामले के चारों दोषियों का डेथ वारंट जारी कर दिया और इसके अनुसार 22 जनवरी सुबह 7 बजे निर्भया के गुनहगारों को तिहाड़ जेल में फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा. आप सभी को बता दें कि दिल्ली के मुनीरका में 16 दिसंबर 2012 की रात निर्भया की आबरू को तार तार कर दिया गया था. उस दौरान शामिल 6 दरिंदों को उसपर तरस नहीं आया.

दरिंदों ने लड़की के साथ दुष्कर्म किया और फिर उसे निर्वस्त्र हालत में चलती बस से नीचे फेंक दिया. इस वारदात के वक्त पीड़िता का दोस्त भी बस में था और दरिंदों ने उसके साथ भी मारपीट की और उसे भी बस से फेंक दिया था. वहीं यह घटना होने के बाद पीड़िता को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया और डॉक्टर ने जब निर्भया (बदला नाम) की हालत देखी तो वो भी रो पड़े. उनका कहना था कि ''आज तक उन्होंने हैवानियत की इस तरह की तस्वीर कभी नहीं देखी. निर्भया की हालत देखकर उनकी रूह भी कांप उठी.'' आपको बता दें कि निर्भया का इलाज करने वाले डॉक्टर ने बताया कि, ''16 दिसंबर 2012 की रात तकरीबन डेढ़ बजे जब निर्भया को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल पहुंचाया गया था. वहां सबसे पहले देहरादून के डॉ. विपुल कंडवाल ने निर्भया का इलाज किया था. विपुल कंडवाल इस वक्त देहरादून अस्पताल में कार्यरत हैं. लेकिन, उन दिनों वे सफदरजंग अस्पताल में कार्य कर रहे थे.''

इसी के साथ विपुल कंडवाल ने एक निजी अखबार को दिए अपने इंटरव्यू में बताया कि, ''निर्भया की हालत देख वे अंदर से दहल गए थे. जिदंगी में पहले कभी ऐसा केस नहीं देखा था. रात डेढ़ बजे का वक्त रहा होगा. मैं अस्पताल में नाइट ड्यूटी पर था. तभी रोज की तरह सायरन बजाती तेज रफ्तार एंबुलेंस अस्पताल की इमरजेंसी के बाहर आकर रुकी. तत्काल ही घायल को इमरजेंसी में इलाज के लिए पहुंचाया गया. मेरे सामने 21 साल की एक युवती थी. उसके शरीर के फटे कपड़े हटाए, अंदर की जांच की तो दिल मानों थम सा गया. ऐसा केस मैंने अपनी जिदंगी में पहले कभी नहीं देखा. मन में सवाल बार-बार उठ रहा था कि कोई इतना क्रूर कैसे हो सकता है? मैंने खून रोकने के लिए प्रारंभिक सर्जरी शुरू की. खून नहीं रुक रहा था. क्योंकि रॉड से किए गए जख्म इतने गहरे थे कि उसे बड़ी सर्जरी की जरूरत थी. आंत भी गहरी कटी हुई थी. मुझे नहीं पता था कि ये युवती कौन है. इतने में पुलिस और मीडिया के कई वाहन भी अस्पताल पहुंचने लगे.''

उन्होंने बताया, ''वे कहते हैं कि वे पल मेरे लिए बहुत ही इमोशनल हैं. हां अगर हम निर्भया की जान बचा पाते तो उसके साथ फोटो जरूर खिंचाता. उस रात ही नहीं दो-तीन हप्तों तक हम दिन-रात निर्भया की स्थिति ठीक करने में जुटे रहे. उपचार के लिए विशेषज्ञ डाक्टरों का एक पैनल बनाया गया. इसमें मैं भी था. बाद में हालत बिगड़ने पर उसे हायर सेंटर रेफर किया गया, जहां से एयर एम्बुलेंस के जरिए सिंगापुर भी भेजा गया. लेकिन तमाम कोशिश के बावजूद निर्भया को बचाया नहीं जा सका.''

120 केले खिलाए, तब जाकर 10 करोड़ के कैप्सूल बाहर आए...

ऑडी कार के लिए की हत्या और नाले में फेंका शव

ब्लड कैंसर के डर से छात्रा ने लगाई फांसी, जांच में जुटी पुलिस

रिलेटेड टॉपिक्स
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -