ड्रेगन समुद्र में अपना दायर कर सकता है बड़ा !, स्‍वदेशी विमानवाहक पोत दे रहा चुनौती के संकेत
ड्रेगन समुद्र में अपना दायर कर सकता है बड़ा !,  स्‍वदेशी विमानवाहक पोत दे रहा चुनौती के संकेत
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भारत का पड़ोसी देश चीन ने हाल ही में अपना दूसरा और पहला स्‍वदेशी विमानवाहक पोत समुद्र में उतारा है. यह चीन के लिए जहां बड़ी उपलब्धि है वहीं भारत के लिए चिंता की बात है. ऐसा इसलिए क्‍योंकि भारत के पास वर्तमान में केवल एक ही विमानवाहक पोत है, जिसको भारत ने रूस से वर्ष 2004 में 974 मिलियन डॉलर में खरीदा था. समस्‍या ये भी है कि आईएनएस विक्रमादित्‍य रूस की नौसेना में एडमिरल गोरशॉव के नाम से कई वर्षों तक सेवाएं दे चुका है. यह विमानवाहक पोत करीब 44,500 टन वजनी है. भारत के लिए इसको अपग्रेड किया गया है, इसके बावजूद यह सच्‍चाई है कि ये करीब एक दशक पुराना विमानवाहक पोत है.

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत के लिए दूसरी चिंता की बात ये भी है कि चीन ने अपनी नौसेना में वर्ष 2049 तक दस विमानवाहक पोत शामिल करने की योजना बना रखी है. भारत के लिए तीसरी बड़ी चिंता नौसेना चीफ एडमिरल करमबीर सिंह के उस बयान से सामने आ गई है जिसमें उन्‍होंने कम से कम तीन विमानवाहक पोत की तुरंत जरूरत बताई है. उनका कहना है कि तीन विमानवाहक पोत होने पर हम कम से कम दो को हमेशा चालू रख सकते हैं. उनके मुताबिक ये विमानवाहक पोत 65 हजार टन वजनी होने के साथ-साथ इलेक्‍ट्रामैग्‍नेटिक प्रप्‍लशन से युक्‍त होने चाहिए.

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अगर आपको नही पता तो बता दे कि 2021 तक भारत को इन विमानवाहक पोत की डिलीवरी शुरू होने की उम्‍मीद है. इसके बाद भी इन पोतों को नौसेना में शामिल करने में करीब एक वर्ष का समय और लगेगा. इसकी वजह इनका विभिन्‍न चरणों में होने वाला ट्रायल है, जिसके बाद ही ये नौसेना में शामिल हो सकेंगे. लेकिन सच्‍चाई  ये भी है कि भारत को इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाने होंगे तभी हम चीन को चुनौती पेश कर सकेंगे. उन्‍होंने इसी कुछ दिन पहले एक मैग्‍जीन को दिए अपने इंटरव्‍यू में इन बातों को इंगित किया है.  

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