'गुजरात दंगों की आलोचना करने वालों को टेरेरिस्ट कहा जाता है': स्वरा भास्कर
'गुजरात दंगों की आलोचना करने वालों को टेरेरिस्ट कहा जाता है': स्वरा भास्कर
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बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर को अक्सर अपने बयानों के चलते सुर्ख़ियों में देखा जाता है और अब इस बार भी वह अपने नए बयान को लेकर सुर्खियों में है। जी दरअसल स्वरा का कहना है कि वो कोई एक्टिविस्ट नहीं बल्कि आर्टिस्ट हैं। जी दरसल छठे डॉक्टर टीके रामचंद्रन मेमोरियल में लेक्चर देने के लिए केरल के कोच्ची पहुंची स्वरा ने गुजरात गंदे समेत मौदूजा दौर में फिल्म इंडस्ट्री के हालात पर खुलकर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने मुंबई फिल्म इंडस्ट्री और राष्ट्रीय स्वयंसेवक के बीच मौन समझौता होने की बात करते हुए कहा, 'फिल्म एक कला है, लोगों के मनोरंजन का माध्यम है लेकिन वर्तमान दौर में इसका उपयोग बड़े पैमाने पर नागरिकों के बीच बंटवारे के मसकद से किया जा रहा है और फिल्मों के माध्यम से विभाजनकारी विचारों को फैलाने के लिए नागपुर के लोग बतौर टूल इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।"

वहीं आगे उनका इशारा नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय की ओर था। इसी के साथ उन्होंने कहा, "जो कलाकार या फिल्म से संबंधित लोग उनके विचारों से इत्तेफाक नहीं रखते हैं और अपने नागरिक कर्तव्यों के निर्वहन का प्रयास करते हैं, उन्हें टार्गेट किया जाता है, परेशान किया जाता है।" इस दौरान खुद के एक्ट्रेस और एक्टिविस्ट होने के बीच चल रही बहस पर स्पष्टीकरण देते हुए स्वरा ने कहा, "मैंने कभी खुद को एक्टिविस्ट के तौर पर पोट्रे करने की कोशिश नहीं की और न ही मैं चाहती हूं कि मुझे एक्टिविस्ट के तौर पर पहचाना जाए। हालांकि, मैं समाज के विभिन्न मुद्दों पर खुलकर बोलती हूं इसलिए मुझे बतौर एक्टिविस्ट टैग किया जाता है। मैं एक एक्ट्रेस हूं लेकिन साथ में देश की नागरिक भी हूं।''

वहीं आगे उन्होंने वर्तमान समय में फिल्म और समाज के ताल्लुक की व्याख्या करते हुए कहा, 'फिल्में समाज की परछाई की तरह होती हैं, वे इस कला की शक्ति को नहीं समझते हैं। यह एक परिवर्तनकारी शक्ति है और शक्ति का निर्माण एक करता है। फ्री ऑर्ट किसी भी सत्ताधारी स्टेट के लिए बड़ा खतरा होता है और दुर्भाग्य से स्टेट खुद के लिए फिल्म कला की शक्ति को खतरे के तौर पर महसूस कर रही है।' इसके अलावा उन्होंने कहा, 'आज हिंदी सिनेमा में जिस तरह की फिल्में बन रही हैं, उनमें हिंदुत्व को प्रदर्शित करने के लिए काफी स्पेस दिया जा रहा है। मसलन बॉलीवुड में बन रही ऐतिहासिक फिल्मों को देखिए। ये फिल्में नागपुर के विभाजनवादी एजेंडे को बखूबी दर्शा रही हैं। इसलिए जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा कलाकारों को एक साथ जुड़ना चाहिए नहीं तो स्टेट मशीनरी हमें अपना एजेंडा को लागू करने के लिए मजबूर कर देगा।'

वहीं यहाँ पर अपनी बात खत्म करते हुए स्वरा भास्कर ने मोदी सरकार पर सीधा हमला करते हुए कहा, "आज के वक्त में गुजरात दंगों की आलोचना करने वालों को सीधे तौर पर एंटी नेशनल और टेरेरिस्ट बता दिया जाता है। केवल अपनी बात करने के कारण आपको टारगेट किया है, जिसका मैं स्वयं प्रत्यक्ष अनुभव करती हूं।'

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