9 लाख से ज़्यादा मतदाताओं ने किया नोटा का उपयोग
9 लाख से ज़्यादा मतदाताओं ने किया नोटा का उपयोग
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पटना : यूं तो बिहार विधानसभा में महागठबंधन अपनी जीत की खुशी मना रहा है। तो एनडीए को नकारे जाने की बात कही जा रही है। दूसरी ओर यह बात भी तथ्यों के माध्यम से सामने आई है कि चुनावों में नोटा का जमकर उपयोग हुआ है। नोटा अर्थात् नन आॅफ द एबाॅव यानि चुनाव के दौरान मतदान में मतदाताओं ने बड़े पैमाने पर नोटा का उपयोग किया है। जिसमें मतदाताओं ने एनडीए और महागठबंधन के उम्मीदवारों को सिरे से नकार कर यह बता दिया कि उम्मीदवार काबिल नहीं हैं। करीबन साढ़े नौ लाख मतदाताओं ने नोटा का उपयोग किया है। हालांकि इसके उपयोग को लेकर अलग अलग आंकड़े दर्शाए जा रहे हैं।

मगर एक राष्ट्रीय स्तर के समाचार चैनल ने 9,13,561 मतदाताओं ने उपरोक्त में से कोई नहीं का विकल्प ही चुना और उस पर बटन दबाया। चुनाव परिणाम आने तक नोटा के आंकड़ों और प्रतिशत में परिवर्तन किए जाने की बात भी कही गई है।मिली जानकारी के अनुसार बिहार विधानसभा हेतु चुनाव में 6.68 करोड़ मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। बिहार में लोकसभ या फिर विधानसभा के किसी चुनाव में सर्वाधिक मतदान होने की बात भी कही।

उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद वर्ष 2013 में चुनाव आयोग ने नोटा के विकल्प का उपयोग चुनावों में करना प्रारंभ कर दिया था। बिहार चुनाव में भी इसका उपयोग हुआ। लोकसभा चुनाव और अन्य चुनावों में इसके उपयोग से मतदाता इसका विकल्प समझने लगे ऐसे में उन्होंने बिहार में इसका विवेकपूर्ण उपयोग किया। नोटा के बड़े पैमाने पर किए गए उपयोग को गंभीरता से लिया जा रहा है। हालांकि महागठबंधन तो जीत गया मगर इसे बिहार की दबंग राजनीति के लिए खतरा बताया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में नोटा का करीब 60 लाख मतदाताओं ने उपयोग किया। 

नोटा के पहले क्या - सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के पूर्व मतदाता किसी भी उम्मीदवार को मत नहीं देना चाहते थे। उन्हें फार्म नंबर 49.0 भरना होता था। जिसमें वे यह दर्शाते थे कि वे चुनाव में किसी को भी वोट नहीं देना चाहते। मगर मतदान केंद्र पर इस तरह का फाॅर्म भरने से उनकी गोपनीयता प्रभावित होती थी। ईवीएम में इसका उपयोग नोटा के तौर पर किए जाने से गोपनीयता प्रभावित नहीं हो रही है। यही नहीं यह नियम भी लागू किया गया कि यदि नोटा विकल्प का उपयोग आधे से अधिक मतदाताओं ने किया तो चुनाव नए सिरे से करवाए जाऐंगे।

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