जन्मदिन विशेष : ऐसे गायक जिन्होंने 18 भाषाओँ में गाए थे 4516 गाने
जन्मदिन विशेष : ऐसे गायक जिन्होंने 18 भाषाओँ में गाए थे 4516 गाने
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बॉलीवुड के हिट सिंगर रह चुके मोहम्मद रफ़ी को भला कौन भूल पाया है. उनके गाने आज भी सभी के दिलों में जिन्दा हैं और उन्हों के गानों से आज भी उन्हें याद किया जाता है. मोहम्मद रफी एक ऐसा नाम है, जिसने अपनी गायकी से न केवल देश के संगीत प्रेमियों के दिलों पर आजीवन राज किया बल्कि विदेशों में भी उन्होंने भारत का नाम रोशन किया. आपको बता दें आज 24 दिसंबर को मोहम्मद रफी का जन्म दिन है. इसी मौके पर हम उन्हें खास अंदाज़ में याद करना चाहते हैं. 

मोहम्मद रफी ने भजन से लेकर गजल और गजल से लेकर हर तरह के गीतों को अपनी आवाज दी. वे अनुपम स्वर तो थे ही खनकती आवाज, कशिश और तराशे गये इन्द्रधनुषी रोशनी की तरह वे भारतीय संगीत जगत में बिखरते रहे. आपको बता दें, रफ़ी ने हिंदी के अलावा असामी, कोंकणी, भोजपुरी, ओड़िया, पंजाबी, बंगाली, मराठी, सिंधी, कन्नड़, गुजराती, तेलुगू, माघी, मैथिली, उर्दू, के साथ साथ इंग्लिश, फारसी, अरबी और डच भाषाओं में भी मोहम्मद रफी ने गीत गाए हैं. यानी जानकारी दे दें कि कुल 18 भाषाओँ में गाने गाये हैं. आइये जानते हैं मोहम्मद रफी साहब के बारे में कुछ खास बातें...

* मोहम्मद रफी का जन्म 24 दिसंबर 1924 को अमृतसर (पंजाब) में हुआ था. एक वक्त के बाद रफी साहब के पिता अपने परिवार के साथ लाहौर चले गए थे.

* मोहम्मद रफी का निक नेम 'फीको' था और बचपन से ही राह चलते फकीरों को सुनते हुए रफी साहब ने गाना शुरू कर दिया था. यह ऐसे कलाकार थे जिन्होंने 18 भाषाओं में 4516 गानों को आवाज दी थी.

* मोहम्मद रफी ने उस्ताद अब्दुल वाहिद खान, पंडित जीवन लाल मट्टू और फिरोज निजामी से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली थी.

* मोहम्मद रफी को 'क्या हुआ तेरा वादा' गाने के लिए 'नेशनल अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया था. 1967 में उन्हें भारत सरकार की तरफ से 'पद्मश्री' अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया.

मोहम्मद रफी को दिल का दौरा पड़ने की वजह से 31 जुलाई 1980 को देहांत हो गया. रफी साहब के देहांत पर मशहूर गीतकार नौशाद ने लिखा, 'गूंजते हैं तेरी आवाज अमीरों के महल में, झोपड़ों की गरीबी में भी है तेरे साज, यूं तो अपनी मौसिकी पर सबको फक्र होता है, मगर ए मेरे साथी मौसिकी को भी आज तुझ पर नाज है.' आवाज की दुनिया के बेताज बादशाह रफी ने जो मुकाम हासिल किया उसे आज तक कोई नहीं कर पाया. साथ ही उनकी यादों को कभी भुलाया नहीं जा सकता.

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