हर सरकारी कार्यालय में होना चाहिए राष्ट्रगान- फिल्म डायरेक्टर सनोज मिश्रा
हर सरकारी कार्यालय में होना चाहिए राष्ट्रगान- फिल्म डायरेक्टर सनोज मिश्रा
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लखनऊ कई भाषाओं में फिल्मों का निर्माण करने वाले डायरेक्टर सनोज मिश्रा हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा आए निर्णय, की सभी सिनेमाघरों,और मॉल में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान अनिवार्य रूप से बजाया जाएगा, से काफी खुश है एक फिल्म, शूटिंग के दौरान न्यूज़ ट्रैक से इन्होंने अपनी बात रखी.

कई भोजपुरी और हिंदी भाषाओं में फिल्मों का निर्माण करने वाले सनोज मिश्रा फिलहाल लखनऊ में अपनी नई फिल्म की शूटिंग में व्यस्त हैं, एक सर्च इंजन में सबसे अधिक खोजे जाने वाले सनोज मिश्रा ने दर्शकों को कई जानी-मानी फिल्मों का उपहार दिया है. जिनमें अधिकतर भोजपुरी फिल्में हैं. सनोज मिश्रा बताते हैं की राष्ट्रगान और वंदे मातरम देश की पहचान है. इनमें देश की आत्मा बसती है. हजारों लाखों लोगों ने देश के लिए अपनी जान की कुर्बानी दी है, जो सामने नजर आते हैं उनकी संख्या तो बहुत कम है, लाखों ऐसे लोग हैं जो गुमनाम होकर देश के लिए अपना सब कुछ लुटा के चले गए, इनका कहना है कि आज की युवा पीढ़ी मॉर्डन जमाने में इतना खोई हुई है कि उसे मोबाइल, चैटिंग, मनोरंजन के आगे सोचने का वक्त ही नहीं मिलता. युवा पीढ़ी को यह नहीं पता, कि जिस खुली हवा में आजादी की सांस ले रहे हैं, उसके पीछे कितना लाल लहू है.

सनोज मिश्रा कहते हैं कि जब कभी मैं कहीं भी हूं, और कानों में राष्ट्रगान की ध्वनि पड़ जाए, तो बरबस ही शरीर सावधान की मुद्रा में आ जाता है. शरीर का ओर से लेकर छोर तक उन्माद की परम अवस्था में पहुंचकर झूमने लगता है, और आजादी के लिए Gadar से लेकर मंगल पांडे तक हो ,18वीं सदी की क्रांति हो, महिलाओं का जौहर हो वल्लभ भाई पटेल का बलिदान हो हमारे डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा जैसे महान व्यक्तियों का देश प्रेम हो, सभी कुछ आंखों के सामने एक क्षण में घूमने लगता है, सोचता हूं, कि मैं क्यों नहीं था उस समय, जब देश के आक्रमणकारियों को चुनचुन कर मारने का मौका मुझे भी मिलता. आज माननीय सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्णय दिया है, इसके पहले ही देशवासियों को इस बारे में सोचना चाहिए था, उन्हें स्वयं ही राष्ट्रगान और वंदेमातरम करना चाहिए था, फिलहाल जो भी हो यह निर्णय बहुत-बहुत स्वागत योग्य है.

महाराष्ट्र में तो पहले से ही राष्ट्रगान बजता आ रहा है, अब पूरे देश में ऐसा होगा यह बात प्रफुल्लित करती है. मेरी मांग है कि देश के सिनेमाघरों के साथ-साथ संसद भवन और राज्य सरकारों के विधान भवन एवं सरकारी कार्यालयों में भी ऐसी व्यवस्था की जाए की वंदे मातरम और राष्ट्रगान दोनों को प्रारंभ और समापन के दौरान अनिवार्य बनाया जाए. सभी को विशेषकर युवाओं को संदेश देते हुए सनोज मिश्रा कहते हैं, ए मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी, जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी. जय हिंद जय भारत.

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