इस फिल्म के निर्माताओं पर ठुका ​था भारी जुर्माना, फिर शुरू हुआ डिसक्लेमर जारी करने का दौर
इस फिल्म के निर्माताओं पर ठुका ​था भारी जुर्माना, फिर शुरू हुआ डिसक्लेमर जारी करने का दौर
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दर्शकों को मनोरंजित करने के लिए हर शुक्रवार को सिनेमाघरों में कोई न कोई फिल्म रिलीज होती है. न सिर्फ बॉलीवुड बल्कि दर्शकों के पास अब हॉलीवुड और टॉलीवुड का भी विकल्प उपलब्ध रहता है. फिल्म चाहें कोई भी हो, जॉनर चाहें जो भी हो, लेकिन हर फिल्म में एक बात कभी नहीं बदलती और वो है डिसक्लेमर. दरअसल हर फिल्म के पहले आपको एक डिसक्लेमर दिखाया जाता है, लेकिन क्या कभी आपने ये सोचा कि आखिर वो आपको क्यों दिखाया जाता है और इसकी शुरुआत कब से हुई? इस स्पेशल रिपोर्ट में हम आपको बताते हैं डिसक्लेमर का इतिहास.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि रसपुतिन पर बनी फिल्म के बाद ही एक बड़ा विवाद हुआ था और उसके बाद से ही फिल्मों के पहले डिसक्लेमर का सिलसिला शुरू हुआ. लेकिन विवाद से पहले जरा जान लेते हैं कि आखिर कौन है ग्रिगोरी रसपुतिन. रसपुतिन की कहानी शुरू होती है 1869 से, जहां एक किसान के परिवार में जन्म के बाद भी रसपुतिन अपना खानदानी पेशा यानी किसानी नहीं करता, बल्कि एक साधु बनने की राह पर चल देता है. रसपुतिन की जिंदगी में तब बदलाव आना शुरू होता है जब उसकी बेमतलब बातें सच होना शुरू हो जाती है. ऐसे में धीरे-धीरे लोग उसकी हर बात का विश्वास करने लगते और जानें कैसे उसकी बातें सच होने लगतीं और आखिरकार 1906 में ये बात पहुंचती है शाही दरबार तक. उस वक्त तक लोग ऐसा भी कहने लगे थे कि रसपुतिन को सम्मोहन करना आता है.

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शाही दरबार में रूस के आखिरी शाही परिवार की रानी एलेक्जेंड्रा अपने बेटे एलेक्सी के इलाज के लिए परेशान थीं, उस वक्त तक जहां- जहां से उन्हें उम्मीद थी, वहां- वहां से उन्हें सिर्फ निराशा ही हाथ लगी थी.ऐसे में जब रसपुतिन के बारे में रानी को पता लगता है तो वो तुरंत उसे बुलाती हैं. वहीं रसपुतिन भी रानी को भरोसा देता है कि उनके बेटे को कुछ नहीं होगा. कोई नहीं जानता लेकिन किसी तरह से रानी के बेटे की तबीयत में सुधार होने लगता है और इसके बाद न सिर्फ रानी बल्कि पूरा शाही दरबार रसपुतिन का मुरीद होने लगता है.

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अगर बात करें उनकी मौत की तो न सिर्फ रसपुतिन की जिंदगी बल्कि रसपुतिन की मौत भी काफी अलग थी. कहा जाता है कि जहर और गोलियों से नहीं बल्कि रसपुतिन की मौत पानी में डूबने से हुई थी. ऐसे में रसपुतिन पर 1933 में एमजीएम ( Metro-Goldwyn-Mayer) ने 'रसपुतिन एंड द एम्प्रेस' नामक बायोपिक बनाई. इस बायोपिक में युसुपोव की पत्नी आइरिन का भी जिक्र था. बायोपिक में दिखाया गया था कि रसपुतिन ने आइरिन का बलात्कार किया था. फिल्म पर अदालत में युसुपोव ने 89 लाख 58 हजार 950 रुपये का दावा ठोका और कहा कि फिल्म में कई बातें गलत दिखाई गई हैं, जिसमें रसपुतिन की मौत भी शामिल है. वहीं आइरिन कभी भी रसपुतिन से नहीं मिली. इस मामले में रसपुतिन को जीत मिली थी.  इस बायोपिक के विवाद के बाद से ही फैसला लिया गया था कि हर फिल्म के पहले डिसक्लेमर दिखाया जाएगा ताकि फिल्म पर किसी तरह का विवाद न हो.

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