मुंबई : बॉलीवुड की सदाबहार अभिनेत्री मीना कुमारी भारत की एक मशहूर अभिनेत्री थीं. इन्हें खासकर दुखांत फ़िल्म में उनकी यादगार भूमिकाओं के लिये याद किया जाता है. 1952 में प्रदर्शित हुई फिल्म बैजू बावरा से वे काफी मशहूर हुईं. मीना कुमारी का असली नाम माहजबीं बानो था और ये बंबई में पैदा हुई थीं. उनके पिता अली बक्श भी फिल्मों में और पारसी रंगमंच के एक मँजे हुये कलाकार थे और उन्होंने कुछ फिल्मों में संगीतकार का भी काम किया था.
उनकी माँ प्रभावती देवी (बाद में इकबाल बानो), भी एक मशहूर नृत्यांगना और अदाकारा थी जिनका ताल्लुक टैगोर परिवार से था. माहजबीं ने पहली बार किसी फिल्म के लिये छह साल की उम्र में काम किया था. उनका नाम मीना कुमारी विजय भट्ट की खासी लोकप्रिय फिल्म बैजू बावरा से पड़ा. मीना कुमारी की प्रारंभिक फिल्में ज्यादातर पौराणिक कथाओं पर आधारित थे. मीना कुमारी के आने के साथ भारतीय सिनेमा में नयी अभिनेत्रियों का एक खास दौर शुरु हुआ था जिसमें नरगिस, निम्मी, सुचित्रा सेन और नूतन शामिल थीं.
1953 तक मीना कुमारी की तीन सफल फिल्में आ चुकी थीं जिनमें दायरा, दो बीघा ज़मीन और परिणीता शामिल थीं. परिणीता से मीना कुमारी के लिये एक नया युग शुरु हुआ. परिणीता में उनकी भूमिका ने भारतीय महिलाओं को खास प्रभावित किया था चूकि इस फिल्म में भारतीय नारियों के आम जिदगी की तकलीफ़ों का चित्रण करने की कोशिश की गयी थी. लेकिन इसी फिल्म की वजह से उनकी छवि सिर्फ़ दुखांत भूमिकाएँ करने वाले की होकर सीमित हो गयी.
लेकिन ऐसा होने के बावज़ूद उनके अभिनय की खास शैली और मोहक आवाज़ का जादू भारतीय दर्शकों पर हमेशा छाया रहा. मीना कुमारी की शादी मशहूर फिल्मकार कमाल अमरोही के साथ हुई जिन्होंने मीना कुमारी की कुछ मशहूर फिल्मों का निर्देशन किया था. लेकिन स्वछंद प्रवृति की मीना, अमरोही से 1964 में अलग हो गयीं. उनकी फ़िल्म पाक़ीज़ा को और उसमें उनके रोल को आज भी सराहा जाता है.
शर्मीली मीना के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं कि वे कवियित्री भी थीं लेकिन कभी भी उन्होंने अपनी कवितायें छपवाने की कोशिश नहीं की. उनकी लिखी कुछ उर्दू की कवितायें नाज़ के नाम से बाद में छपी. बता दे मीना कुमारी की मृत्यु मार्च 31, 1972 (उम्र 39) में हुई, और लोगो ने नम आँखों से उन्हें इस दुनिया से विदा किया.
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